स्वास्थ्य

AIIMS में पहली बार भ्रूण दान, अब इन रोगों पर हो पाएंगे नए मेडिकल रिसर्च

दिल्ली के AIIMS में पहली बार भ्रूण दान प्राप्त हुआ। इस ऐतिहासिक पहल से Alzheimer’s, Parkinson’s, नवजात एनेस्थीसिया और अन्य गंभीर रोगों पर डीप रिसर्च की नई दिशा मिलेगी। पढ़ें पूरी जानकारी।

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Sep 09, 2025
Embryo donation (photo- freepik)

AIIMS Medical Research: दिल्ली में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। देश के प्रमुख मेडिकल संस्थान एम्स (AIIMS) को पहली बार भ्रूण दान प्राप्त हुआ है। यह सिर्फ एक मेडिकल प्रक्रिया नहीं, बल्कि भविष्य की चिकित्सा रिसर्च और शिक्षा के लिए नई राह खोलने वाला कदम है। 32 वर्षीय वंदना जैन का पांचवें महीने में गर्भपात हो गया था। इस कठिन समय में उनका परिवार संवेदनशील सोच के साथ भ्रूण को चिकित्सा रिसर्च और शिक्षा के लिए एम्स को दान करने का साहसिक निर्णय लिया।

सुबह से शाम तक लगातार प्रयासों के बाद एम्स को पहला भ्रूण दान प्राप्त हुआ। दधीचि देहदान समिति की मदद से एम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख डॉ. एस.बी. राय और उनकी टीम ने त्वरित प्रक्रिया पूरी की। सुबह 8 बजे पहल शुरू हुई और शाम 7 बजे तक सभी दस्तावेज़ी औपचारिकताएं पूरी करके यह ऐतिहासिक कदम पूरा हुआ।

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चिकित्सा रिसर्च को मिलेगा नया आयाम

एम्स में भ्रूण दान से अब गहराई से मानव शरीर के विकास और बीमारियों पर रिसर्च संभव होगी। एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुब्रत बासु बताते हैं कि भ्रूण अध्ययन से यह समझने में मदद मिलेगी कि शरीर के अंग किस तरह विभिन्न स्टेज पर विकसित होते हैं। उदाहरण स्वरूप, नवजात शिशु का नर्वस सिस्टम जन्म के समय पूरी तरह विकसित नहीं होता, बल्कि दो साल में विकसित होता है। ऐसे अध्ययन से वैज्ञानिक यह समझ पाएंगे कि उम्र बढ़ने पर टिश्यू में क्या बदलाव आते हैं और कौन से फैक्टर टिश्यू को नुकसान पहुंचाते हैं या बढ़ाते हैं।

कई गंभीर बीमारियों पर डीप रिसर्च संभव

  • उम्र से जुड़ी बीमारी (Alzheimer’s, Parkinson’s)
  • टिश्यू डैमेज और उसके इलाज की प्रक्रिया
  • नवजात बच्चों में एनेस्थीसिया की सही डोज का निर्धारण
  • जीन आधारित विकारों का अध्ययन और इलाज

स्वास्थ्य शिक्षा में मिलेगा योगदान

जैन परिवार ने अपने व्यक्तिगत दुःख को समाज और विज्ञान की सेवा में बदलकर मिसाल कायम की है। यह पहल न केवल अंगदान और देहदान को बढ़ावा देगी, बल्कि भ्रूण दान के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा और रिसर्च को नई दिशा देगी। भविष्य में इससे अनगिनत मरीजों को नई उम्मीद और नए इलाज मिल सकेंगे। यह कदम मानवता, संवेदना और वैज्ञानिक सोच का प्रतीक बन चुका है। AIIMS और दधीचि देहदान समिति की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगी।

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