ICMR : भारत में कोई भी मरीज जांच करवाने जाता है तो उसमें समय के साथ पैसा भी बहुत लगता है लेकिन अब टीबी की जांच में ऐसा नहीं होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डिब्रूगढ़ (असम) स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की जांच की ऐसी किफायती तकनीक विकसित कर ली है
ICMR : भारत में कोई भी मरीज जांच करवाने जाता है तो उसमें समय के साथ पैसा भी बहुत लगता है लेकिन अब टीबी की जांच में ऐसा नहीं होगा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के डिब्रूगढ़ (असम) स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने क्षयरोग (टीबी) की जांच की ऐसी किफायती तकनीक विकसित कर ली है जिसमें केवल 35 रुपये में रोगी की लार का इस्तेमाल कर रोग का पता लगाया जा सकता है। वर्तमान टीबी की जांच की बात कि जाए उसकी पुष्टि होने में 42 दिन लग जाते हैं। वर्तमान जांच तकनीक में समय के साथ पैसा भी बहुत लगता है।
वर्तमान में माइक्रोस्कोपी और न्यूक्लियक एसिड आधारित विधियों के जरिये टीबी की जांच होती है। इनमें समय भी अधिक लगता है और उत्तम श्रेणी के उपकरणों की भी जरूरत पड़ती है। दूसरे शब्दों में कहें तो पारंपरिक निदान तकनीक के जरिये टीबी की पुष्टि करने के लिए अभी करीब डेढ़ माह लग जाता है। एक अधिकारी ने बताया कि टीबी की बीमारी एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। इसके प्रभावी रोग प्रबंधन के लिए सटीक और त्वरित निदान उपकरणों के विकास की जरूरत है। वर्तमान निदान पद्धतियां (डायग्नोस्टिक मैथड) संवेदनशील, अधिक समय लगाने वाली और महंगी हैं।
आईसीएमआर ने अब इस तकनीक 'ए सीआरआईएसपीआर केस आधारित टीबी निदान प्रणाली' के व्यावसायीकरण के लिए पात्र संस्थाओं, कंपनियों, विनिर्माताओं से 'प्रौद्योगिकी हस्तांतरण' के लिए 'अभिरुचि पत्र' आमंत्रित किए हैं। आईसीएमआर का क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र डिब्रूगढ़ इस प्रणाली के उत्पादन के लिए सभी चरणों में मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा।