Allergy symptoms : आंखों में खुजली, लगातार छींकें या नाक बंद होना-अगर आप भी इन दिक्कतों से जूझ रहे हैं, तो इसकी वजह एलर्जी हो सकती है। मौसम बदलते समय एलर्जी के मामले तेजी से बढ़ते हैं, क्योंकि इस दौरान हवा में मौजूद परागकण, धूल, फफूंद और पालतू जानवरों की रूसी जैसे एलर्जन ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। आइए जानते हैं एलर्जी के कारण, लक्षण और इसके टेस्ट के बारे में।
Itching Eyes, Sneezing and Cold : मौसम बदलते ही अगर आंखों में खुजली, बार-बार छींकें आना या नाक बंद होने की शिकायत हो रही है, तो आप अकेले नहीं हैं। ऐसे लक्षण अक्सर एलर्जी (Allergy) की वजह से होते हैं, जो खासतौर पर मौसमी बदलाव के दौरान बढ़ जाती हैं। इस समय वातावरण में मौजूद परागकण (Pollen), धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी, और नमी वाले स्थानों में पनपने वाले फफूंद (Mould) जैसे एलर्जन सक्रिय हो जाते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जरूरत से ज़्यादा प्रतिक्रिया देने लगती है।
मौसम बदलने के दौरान एलर्जी (Seasonal Allergies) होना आम बात है। मौसम में बदलाव जैसे तापमान, नमी और हवा के चलने के कारण वातावरण में मौजूद एलर्जी करने वाली चीजें ज़्यादा सक्रिय हो जाती हैं।
पेड़ों, घासों और खरपतवारों से निकलने वाला पराग वसंत और गर्मी की शुरुआत में एलर्जी का मुख्य कारण होता है, जबकि नमी वाले मौसम या गीली जगहों पर फफूंदी के कण ज़्यादा बढ़ जाते हैं।
घर के अंदर की एलर्जी करने वाली चीजें, जैसे धूल के कण और पालतू जानवरों की रूसी भी एक बड़ी भूमिका निभाती हैं, खासकर उन घरों में जहां हवा का आना-जाना कम होता है।
एलर्जी किन चीजों से होती है, यह जानने के लिए कुछ मेडिकल टेस्ट किए जा सकते हैं:
स्किन प्रिक टेस्ट: इसमें एलर्जी करने वाले प्रोटीन की थोड़ी मात्रा को त्वचा पर डालकर देखा जाता है। अगर एलर्जी है, तो उस जगह पर दाने और सूजन दिखाई देती है।
ब्लड टेस्ट: खून की जांच भी की जा सकती है, लेकिन यह स्किन प्रिक टेस्ट से कम असरदार और ज्यादा महंगा हो सकता है।
एलर्जन-स्पेसिफिक IgE एंटीबॉडी टेस्ट (या इम्यूनोकैप): यह टेस्ट उन लोगों के लिए ज़्यादा अच्छा है जो स्किन प्रिक टेस्ट नहीं करवा सकते।
कंपोनेंट रिजॉल्व्ड डायग्नोस्टिक टेस्ट: यह एक ज़्यादा गहराई से किया जाने वाला टेस्ट है जो खास एलर्जी करने वाली चीजों के अलग-अलग हिस्सों के खिलाफ IgE के स्तर को मापता है।
मौसम से होने वाली एलर्जी से बचाव कैसे करें
बार-बार नाक बंद होना, लगातार और बार-बार छींक आना, नाक और आंखों में खुजली, नाक बहना, आंखों से पानी आना, आंखों में लालिमा और सूजन, गले में खराश, खांसी, सिरदर्द और कभी-कभी सांस लेने में तकलीफ, छाती में जकड़न और घरघराहट।
कभी-कभी मरीजों को त्वचा में खुजली के साथ दाने या पित्ती और/या आंखों, होंठों या शरीर के दूसरे हिस्सों में सूजन (एंजियोएडेमा) की शिकायत भी हो सकती है।
वायरस के संक्रमण जो सांस लेने की प्रणाली को प्रभावित करते हैं, उनके लक्षण भी ऐसे ही हो सकते हैं। हालांकि, उनमें आमतौर पर बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द, थकान या कमजोरी भी महसूस होती है।