Blood Test for Colon Cancer : आंतों के कैंसर की पहचान में विज्ञान ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने एक नया टेस्ट विकसित किया है, जो 90% तक सटीकता के साथ यह अनुमान लगा सकता है कि किसी व्यक्ति को आंतों का कैंसर होने का खतरा है या नहीं। यह रिसर्च प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल Gut में प्रकाशित हुई है।
Bowel cancer test : वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी टेस्ट विकसित किया है, जो 90% तक सटीकता के साथ आंतों के कैंसर के खतरे का पूर्वानुमान लगा सकता है। यह शोध Gut नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है और यह एक साधारण ब्लड टेस्ट के जरिए कैंसर के उच्च जोखिम वाले मरीजों की पहचान करने में मदद कर सकता है, खासकर उन लोगों में जो इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन डिजीज से पीड़ित हैं।
ब्रिटेन में लगभग 5 लाख लोग IBD से प्रभावित हैं, लेकिन उनमें से सभी को आंतों का कैंसर नहीं होता। Cancer Research UK के अनुसार, आंतों का कैंसर ब्रिटेन में चौथा सबसे आम कैंसर है।
इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च के प्रोफेसर ट्रेवर ग्राहम के मुताबिक, IBD से ग्रसित मरीजों के लिए अभी तक दो ही विकल्प उपलब्ध थे:
- लगातार कोलोनोस्कोपी टेस्ट कराना
- पूरी आंत को हटाने की सर्जरी कराना
यह दोनों ही विकल्प कष्टदायक और महंगे हैं। नया टेस्ट इस समस्या को हल कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने 122 IBD मरीजों के प्री-कैंसर कोशिकाओं का अध्ययन किया और पाया कि पांच सालों के भीतर उनमें से आधे को आंतों का कैंसर हो गया।
शोध से यह भी पता चला कि जिन मरीजों के डीएनए में असामान्य बदलाव हुए थे—जहाँ कैंसर कोशिकाओं ने डीएनए की कई प्रतियां खो दी थीं या प्राप्त कर ली थीं—उनमें कैंसर विकसित होने की संभावना अधिक थी।
- वैज्ञानिकों ने इन डीएनए पैटर्न का विश्लेषण कर एक एल्गोरिदम विकसित किया।
- यह एल्गोरिदम भविष्य में कैंसर होने की संभावना का अनुमान लगाता है।
- प्रोफेसर ग्राहम के अनुसार, यह टेस्ट मरीजों और डॉक्टरों को सही उपचार और रोकथाम के लिए बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगा।
क्रेग फोस्टर ने अपनी पत्नी फरीबा को फरवरी 2024 में आंतों के कैंसर के कारण खो दिया। 18 साल की उम्र में ही फरीबा को अल्सरेटिव कोलाइटिस हो गया था और उन्हें बड़ी सर्जरी करानी पड़ी थी। लेकिन, फिर भी उन्हें कैंसर हो गया और महज छह महीने में उनकी मृत्यु हो गई।
क्रेग का मानना है कि अगर यह नया टेस्ट पहले उपलब्ध होता, तो शायद उनकी पत्नी की जान बचाई जा सकती थी। वह इस वैज्ञानिक उपलब्धि से संतोष महसूस कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि यह टेस्ट कई लोगों की ज़िंदगी बचा सकता है।
स्टडी की सह-लेखिका प्रोफेसर ऐल्सा हार्ट बताती हैं कि IBD मरीजों को लगातार कोलोनोस्कोपी करानी पड़ती है, जो न सिर्फ तकलीफदेह बल्कि महंगी और कभी-कभी अप्रभावी भी होती है।
- कैंसर के सही जोखिम का पता चलेगा।
- अनावश्यक टेस्ट और सर्जरी से बचा जा सकेगा।
- जरूरतमंद मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा।
Cancer Research UK के रिसर्च और इनोवेशन के कार्यकारी निदेशक डॉ. इयान फोल्क्स कहते हैं कि जल्दी पहचान होने से कैंसर का इलाज अधिक प्रभावी होता है।
- हाई-रिस्क मरीजों पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा।
- स्वास्थ्य प्रणाली अधिक प्रभावी और कम खर्चीली हो सकेगी।
- जिन लोगों को कैंसर का खतरा कम है, वे मानसिक शांति महसूस कर सकेंगे।
आंतों के कैंसर का यह नया टेस्ट मेडिकल साइंस में एक क्रांतिकारी कदम है। यह कैंसर से पीड़ित मरीजों को समय पर सही इलाज देने और उनकी जान बचाने में मदद कर सकता है
अगर यह टेस्ट बड़े पैमाने पर उपलब्ध होता है, तो यह कैंसर की जांच और इलाज की दुनिया को पूरी तरह से बदल सकता है।