XEC Covid Variant : कोविड-19 का नया XEC वैरिएंट, जो पहले के ओमिक्रॉन उपप्रकार KS.1.1 और KP.3.3 का हाइब्रिड है, सबसे पहले जर्मनी में पाया गया था और अब तक यह 27 से अधिक देशों में फैल चुका है। फिलहाल, यह यूरोप में प्रमुख वैरिएंट बन गया है और भारतीय विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह जल्द ही पुराने प्रकारों से अधिक व्यापक हो सकता है।
XEC Covid Variant :कोविड-19 का नया XEC वैरिएंट, जो ओमिक्रॉन के KS.1.1 और KP.3.3 उप-प्रकारों का एक हाइब्रिड है, सबसे पहले जर्मनी में पहचाना गया था। यह अब तक 27 से अधिक देशों में फैल चुका है। फिलहाल, यूरोप में यह वैरिएंट प्रमुखता से फैला हुआ है और भारत के विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यह जल्द ही पुराने प्रकारों को पीछे छोड़ सकता है।
XEC वैरिएंट के लक्षण पहले के ओमिक्रॉन वैरिएंट्स से मिलते-जुलते हैं। इनमें बुखार, गले में खराश, स्वाद और गंध की कमी, खांसी, भूख में कमी, और बदन दर्द प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञों ने बताया कि सांस लेने में तकलीफ, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, नाक बंद होना, बहती नाक, मतली, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन के अनुसार, "सर्दियों के आगमन के साथ, पश्चिमी देशों में XEC वैरिएंट हावी हो सकता है।" उन्होंने बताया कि हालांकि यह तेजी से फैल रहा है, लेकिन इसकी गंभीरता में कोई विशेष वृद्धि नहीं देखी गई है। फिर भी, कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा कम समय के लिए प्रभावी रहती है, और पुन: संक्रमण का खतरा बना रहता है।
बार-बार संक्रमण से "लॉन्ग कोविड" का खतरा बढ़ सकता है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। उनका मानना है कि कोविड-19 अब एक चक्रीय बीमारी बन सकती है, जिसमें वायरस समय-समय पर नए रूप धारण करता रहेगा। उन्होंने XEC की तुलना 2022 में आए XBB वैरिएंट से की, जो दो प्रकारों के जेनेटिक बदलावों का परिणाम था।
भारत के एक वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ के अनुसार, फिलहाल XEC को "वैरिएंट ऑफ कंसर्न" नहीं माना जा रहा है। अगस्त में यूरोप में इसकी उपस्थिति 5.96% थी, जबकि कुछ देशों, जैसे कि स्लोवेनिया, में यह 10% से अधिक मामलों में पाया गया। अमेरिका और कनाडा में इसका प्रसार अभी तक कम है, लेकिन इसके अधिक संचरण की संभावना जताई जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि XEC के प्रसार और इसके विकास पर नजर बनाए रखना आवश्यक है। मौजूदा टीके गंभीर परिणामों से बचाव में प्रभावी माने जा रहे हैं, लेकिन सर्दियों से पहले टीकाकरण पर विशेष जोर देना चाहिए, क्योंकि इस समय श्वसन संबंधी संक्रमण तेजी से फैलते हैं। इसके साथ ही, जेनेटिक अनुक्रमण की प्रक्रिया जारी रखने से वैरिएंट के विकास और इसकी गंभीरता का आकलन करने में मदद मिलेगी।
XEC वैरिएंट की निगरानी और टीकाकरण ही इसकी रोकथाम के मुख्य उपाय माने जा रहे हैं। विशेषज्ञ इस पर सतर्क नजर बनाए हुए हैं ताकि इसके फैलाव और प्रभावों को बेहतर ढंग से समझा जा सके।