Pigeon Poop Lung Disease: भारत में लोग कबूतरों को दाना डालना पुण्य का काम मानते हैं, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार कबूतरों की बीट से सांस लेने पर फेफड़ों की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। जानिए क्या कहते हैं पल्मोनोलॉजिस्ट और कैसे बचें इस खतरे से।
Pigeon Poop Lung Disease: भारत में ज्यादातर लोग कबूतरों को दाना डालना पुण्य का काम समझते हैं। शहरों में पार्कों, मंदिरों और सार्वजनिक जगहों पर अक्सर लोग कबूतरों को खिलाते दिखाई देते हैं। लेकिन अब डॉक्टरों ने इस आदत को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। दरअसल, कबूतरों की बीट (मल) से निकलने वाला सूक्ष्म धूलकण फेफड़ों के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है। हाल ही में क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले ने भी सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की “कबूतरों को दाना डालना बंद करें। डॉक्टर लंबे समय से बता रहे हैं कि कबूतरों की बीट सांस के जरिए फेफड़ों में जाकर खतरनाक बीमारी पैदा कर सकती है।”
जी हां। जब कबूतरों की बीट सूख जाती है, तो वह धूल के रूप में उड़ने लगती है, जिसे हम सांस के साथ अंदर खींच लेते हैं। यही धूल समय के साथ फेफड़ों में जमने लगती है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है। पल्मोनोलॉजिस्ट (फेफड़ों के रोग विशेषज्ञ) डॉ. मानव मनचंदा बताते हैं, “हर साल कई लोग कबूतरों के संपर्क में आने से बीमार पड़ते हैं।” वे बताते हैं कि कबूतरों के पंखों और बीट से निकलने वाला बारीक धूलकण Hypersensitivity Pneumonitis नामक बीमारी पैदा कर सकता है। यह धीरे-धीरे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है और लंग फाइब्रोसिस जैसी गंभीर स्थिति तक पहुंच सकता है।
कई बार लोग समझ नहीं पाते कि उनके लगातार खांसी, सांस फूलने या थकान की वजह कबूतर हैं।
डॉ. हेमंत कालरा बताते हैं कि कबूतर देखने में भले ही निर्दोष लगें, लेकिन वे असल में गंभीर स्वास्थ्य खतरे लेकर आते हैं। उनके संपर्क में आने से निम्न लक्षण दिख सकते हैं। लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ, बुखार और सर्दी जैसे लक्षण, शरीर में कमजोरी और थकान लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों को स्थायी नुकसान, यहां तक कि लंग फेलियर भी हो सकता है।
Hypersensitivity Pneumonitis (Bird Fancier’s Lung): कबूतरों के धूलकण और बीट से एलर्जी हो जाती है जिससे फेफड़ों में सूजन और जख्म बन जाते हैं।
फंगल इंफेक्शन: कबूतरों की बीट में मौजूद फंगस जैसे Histoplasmosis और Cryptococcosis कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
डॉ. मनचंदा कुछ आसान उपाय बताते हैं। मास्क और दस्ताने पहनें जब भी कबूतरों वाली जगह साफ करें। सूखी बीट कभी झाड़ू से न साफ करें, पहले उसे पानी से गीला कर लें ताकि धूल न उड़े। खिड़कियों पर जाली या नेट लगाएं ताकि कबूतर घर में न आ सकें। हाथ अच्छे से धोएं अगर कबूतरों या उनकी बीट के संपर्क में आए हों। अगर सांस फूलने, थकान या सीने में दर्द महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।