Silent Heart Attack Symptoms: साइलेंट हार्ट अटैक बिना किसी दर्द या साफ लक्षण के दिल पर असर डाल सकता है। जानिए इसके सामान्य लक्षण, मुख्य कारण और इससे बचाव के आसान उपाय के बारे में।
Silent Heart Attack Symptoms: दिल से जुड़ी बीमारियां आमतौर पर तेज दर्द और बेचैनी जैसे लक्षणों के साथ सामने आती हैं, लेकिन कुछ मामलों में हार्ट अटैक बिना किसी चेतावनी के भी हो सकता है। इस स्थिति को 'साइलेंट हार्ट अटैक' (Silent Heart Attack) कहा जाता है। इसमें दर्द या बेचैनी नहीं होती, इसलिए लोग इसे सामान्य थकान, गैस या कमजोरी समझ लेते हैं।
यह चुपचाप दिल को नुकसान पहुंचाता है और जानलेवा भी साबित हो सकता है। हाल ही में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर की पत्नी प्रीति कुमारी की मौत साइलेंट अटैक के कारण बताई जा रही है। आइए जानते हैं, इस गंभीर बीमारी के लक्षण और कारण क्या है।
साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसा हार्ट अटैक होता है जो बिना किसी स्पष्ट लक्षण के होता है। इसमें मरीज को सीने में दर्द, घबराहट या बेचैनी जैसा कोई अनुभव नहीं होता। कई बार यह अटैक बीते हुए समय में हो चुका होता है और मरीज को तब पता चलता है जब वह किसी और वजह से जांच करवाता है। ECG या अन्य रिपोर्ट में पता चलता है कि दिल को पहले ही नुकसान पहुंच चुका है। यह उतना ही खतरनाक होता है जितना सामान्य हार्ट अटैक।
हार्ट फाउंडेशन के अनुसार, हार्ट अटैक के लक्षण इतने हल्के होते हैं कि लोग अक्सर उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जैसे अचानक थकान महसूस होना, बिना मेहनत के पसीना आना, चक्कर आना या हल्की सांस फूलना। कभी-कभी गर्दन, पीठ, जबड़े या पेट में हल्का दर्द भी हो सकता है। जिसे लोग आम गैस या एसिडिटी मान लेते हैं। अगर ये लक्षण बार-बार दिखें तो इन्हें हल्के में नहीं लें और तुरंत डॉक्टर से जांच करवा लें।
साइलेंट हार्ट अटैक का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है जो पहले से किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में नर्व डैमेज के कारण दर्द का अहसास कम होता है, इसलिए वे अटैक को समझ नहीं पाते। बुजुर्गों में भी लक्षण कम नजर आते हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, धूम्रपान और अत्यधिक तनाव भी इस खतरे को बढ़ाते हैं। जो लोग नियमित व्यायाम नहीं करते और अनियमित जीवनशैली अपनाते हैं। ऐसे लोगों को इस बीमारी का खतरा अधिक हो सकता हैं।
इस बीमारी से बचने के लिए सबसे जरूरी है जागरूकता और सतर्कता। साल में एक बार ECG, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच जरूर करवाएं। संतुलित और कम फैट वाला भोजन लें, रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलें या व्यायाम करें। तनाव से दूर रहें, नींद पूरी लें और धूम्रपान तथा शराब से बचें। अगर शरीर बार-बार थकावट या किसी तरह की असामान्य स्थिति का संकेत दे रहा है तो उसे नजरअंदाज नहीं करें।