स्लीप पैरालिसिस ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति जागने या सोने के दौरान अस्थाई रूप से अपनी मांसपेशियों को हिलाने या बोलने में असमर्थ होता है। इसमें व्यक्ति अक्सर जागरूक रहता है पर मांसपेशियां कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो जाती हैं। यह नींद के रेपिड आइ मूवमेंट चक्रके दौरान होता है, इस समय ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट बढ़ती हैं।
स्लीप पैरालिसिस ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति जागने या सोने के दौरान अस्थाई रूप से अपनी मांसपेशियों को हिलाने या बोलने में असमर्थ होता है। इसमें व्यक्ति अक्सर जागरूक रहता है पर मांसपेशियां कुछ समय के लिए निष्क्रिय हो जाती हैं। यह नींद के रेपिड आइ मूवमेंट चक्रके दौरान होता है, इस समय ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट बढ़ती हैं।
अपने आप ठीक होती
स्लीप पैरालिसिस में व्यक्ति को डरावना दिखना या आवाजें महसूस होती हैं। यह स्थिति कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक रहती है। फिर अपने आप ही ठीक हो जाती है। इसका कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, पर नींद के चक्र में गड़बड़ी, नींद की कमी, अनियमित नींद की आदतें असर डाल सकती हैं।
करें ये उपाय
रोजाना एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।
हर रात कम से कम 7-9 घंटे की नींद लें।
सोने के दौरान शांत, अंधेरा और ठंडा वातावरण बनाए रखें।
तनाव और चिंता को कम करने के लिए योग व ध्यान करें।
कैफीन और शराब की आदत से बचें, सोने से पहले सेवन न करें।
नियमित व्यायाम करें, इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
सोने से पहले फोन, कंप्यूटर और टीवी का उपयोग न करें।
यदि बेचैनी महसूस करें…
स्लीप पैरालिसिस के कारण बेचैन या थका हुआ महसूस करते हैं, तो डॉक्टर से बात करें व उनके निर्देशों का पालन करें। यह आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है।
इस सबके बावजूद अगर बार-बार स्लीप पैरालिसिस होता है, तो डॉक्टर से परामर्श करें। - डॉ. सुनील शर्मा, वरिष्ठ मनोचिकित्सा विशेषज्ञ