Two Biological Males Produce Child : दो जैविक पुरुष अब संतान पैदा कर सकते हैं चीन के वैज्ञानिकों ने दो नर चूहों से सफलतापूर्वक बच्चे पैदा करके प्रजनन विज्ञान में क्रांतिकारी सफलता हासिल की है, जिसने दुनिया को चौंका दिया है और नई उम्मीदें जगाई हैं।
Two Biological Males Produce Child : दो जैविक नर अब एक बच्चा पैदा कर सकते हैं। विज्ञान ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जिसकी कल्पना भी शायद पहले मुश्किल थी – उन्होंने दो नर चूहों से सफलतापूर्वक बच्चे पैदा किए हैं। यह प्रजनन विज्ञान (Reproductive science) में एक बहुत बड़ा कदम है जिसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है और साथ ही कई उम्मीदें भी जगाई हैं।
विज्ञान ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जिसकी कल्पना भी शायद पहले मुश्किल थी – उन्होंने दो नर चूहों से सफलतापूर्वक बच्चे पैदा किए हैं। यह प्रजनन विज्ञान (Reproductive Science) में एक बहुत बड़ा कदम है जिसने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है और साथ ही कई उम्मीदें भी जगाई हैं।
यह अविश्वसनीय शोध शंघाई जिओ टोंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। इसमें उन्होंने दो नर चूहों के शुक्राणु (sperm) लिए और उन्हें एक अंडे की कोशिका (egg cell) में डाला जिसमें से पहले ही उसके आनुवंशिक पदार्थ (Genetic material) को हटा दिया गया था। इस प्रक्रिया को 'एंड्रोजेनेसिस' (Androgenesis) कहा जाता है। लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं था। भ्रूण (embryo) के उचित विकास के लिए डीएनए के कुछ हिस्सों को फिर से प्रोग्राम करने के लिए एक अत्याधुनिक विधि जिसे 'एपीजेनोम एडिटिंग' (Epigenome editing) कहते हैं का उपयोग किया गया। यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसे किसी कंप्यूटर प्रोग्राम में बदलाव करके उसे नया काम सिखाना।
कुल 259 भ्रूणों को सरोगेट मादा चूहों में प्रत्यारोपित (Implanted) किया गया था लेकिन इनमें से सिर्फ दो ही जीवित बचे। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ये दोनों चूहे स्वस्थ वयस्क के रूप में बड़े हुए और उन्होंने स्वाभाविक रूप से प्रजनन भी किया। यह साबित करता है कि दो पिताओं से पैदा हुए बच्चे न केवल जीवित रह सकते हैं बल्कि प्रजनन करने में भी सक्षम हैं। यह पहले के कुछ असफल प्रयोगों से काफी अलग है जहां पैदा हुए चूहे या तो जीवित नहीं रह पाए या फिर उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं।
हालांकि यह एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है लेकिन विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि इस तकनीक को इंसानों पर लागू करना फिलहाल अवास्तविक है। Sainsbury Wellcome Centre के क्रिस्टोफ गैलिशेट बताते हैं कि यह प्रक्रिया बहुत जोखिम भरी है और इसमें संसाधनों की भी बहुत आवश्यकता होती है। बहुत कम सफलता दर के लिए सैकड़ों अंडे और सरोगेट्स की जरूरत होगी। इसके अलावा भले ही यह संभव हो जाए लेकिन पैदा होने वाले बच्चे में अभी भी एक मादा अंडाणु दाता (female egg donor) से माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA) होगा जिसका अर्थ है कि तकनीकी रूप से उसमें तीन व्यक्तियों का आनुवंशिक पदार्थ होगा।
वैज्ञानिक रूप से दो मादाओं से संतान पैदा करना दो नर से संतान पैदा करने की तुलना में सरल है। इसका कारण 'जीनोमिक इम्प्रिंटिंग' (Genomic imprinting) है – जीन अपने माता-पिता के मूल के आधार पर अलग तरह से व्यवहार करते हैं। यही वजह है कि दो नर जीनोम (Male genomes) को एक साथ जोड़ना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होता है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब वैज्ञानिकों ने इस तरह का प्रयोग किया हो। 2023 में, जापानी शोधकर्ताओं ने स्टेम कोशिकाओं (Stem cells) को अंडों में बदलकर ऐसी ही एक उपलब्धि हासिल की थी, लेकिन तब पैदा हुए चूहे लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाए थे। मानव स्टेम कोशिकाओं को व्यवहार्य अंडों में बदलने में अभी तक कोई भी टीम सफल नहीं हुई है इसलिए इंसानों पर इसके अनुप्रयोग अभी काफी दूर हैं।
इस शोध को चीनी विज्ञान अकादमी (CAS) में आणविक जीवविज्ञानी झी कुन ली (Zhi Kun Li) के नेतृत्व में किया गया था। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह समलैंगिक जोड़ों (Homosexual couples) के लिए बच्चे पैदा करने की संभावनाओं को खोलता है। कुछ ऐसा जो अब तक असंभव लगता था, वैज्ञानिक आनुवंशिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) के माध्यम से दो शुक्राणुओं का उपयोग करके एक बच्चा पैदा करने में सक्षम हो सकते हैं।
जैविक मां के बिना बच्चे के जन्म के लिए सरोगेसी एक विकल्प के रूप में काम कर सकती है लेकिन इसकी अपनी चुनौतियां हैं। केवल शुक्राणु कोशिकाओं का उपयोग करके भ्रूण बनाना बेहद मुश्किल है क्योंकि ये कोशिकाएं अत्यधिक विशिष्ट होती हैं। इसलिए एक नया भ्रूण बनाने के लिए एक भ्रूण स्टेम सेल (Embryonic Stem Cell) बनाया गया। ली और उनके सहयोगियों ने जीन इम्प्रिंटिंग के लिए आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीकों का एक संयोजन इस्तेमाल किया, जिसमें जीन विलोपन (Gene Deletion), क्षेत्र संपादन (Region Editing) और आनुवंशिक आधार जोड़े का जोड़ना या हटाना शामिल था।
इस हालिया शोध ने आनुवंशिक संशोधन का उपयोग करके उत्पादित चूहों के जीवनकाल में एक बड़ी सफलता हासिल की। उन्होंने समान जानवरों की तुलना में बेहतर स्वास्थ्य प्रदर्शित किया और कोई स्पष्ट स्वास्थ्य समस्या नहीं दिखाई। हालांकि, वे विभिन्न विकारों के वाहक थे और बांझ (Infertile) थे।
इस अध्ययन में यह उल्लेखनीय है कि आधे से अधिक चूहे वयस्कता तक जीवित नहीं बचे और लगभग 90 प्रतिशत भ्रूण व्यवहार्य नहीं थे। इस तकनीक को मानव अनुप्रयोग के लिए विचार करने से पहले सफलता दर में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है।
यह शोध विज्ञान की दुनिया में एक मील का पत्थर है। यह दर्शाता है कि वैज्ञानिक लगातार उन सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं जो कभी असंभव लगती थीं। हालांकि इंसानों पर इसका उपयोग अभी दूर की कौड़ी है लेकिन यह निश्चित रूप से भविष्य में प्रजनन विज्ञान के लिए नए रास्ते खोलता है। हम बस यह देखने के लिए इंतजार कर सकते हैं कि यह अद्भुत खोज हमें आगे कहां ले जाती है!