Autism : ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं होती। इसी कारण से, अधिकांश लोग अक्सर इसके प्रारंभिक चरण में पहचान नहीं कर पाते हैं। यह एक विकासात्मक विकलांगता है, जिसका निदान प्रायः
Autism : ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक ऐसी स्थिति है, जिसके बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं होती। इसी कारण से, अधिकांश लोग अक्सर इसके प्रारंभिक चरण में पहचान नहीं कर पाते हैं। यह एक विकासात्मक विकलांगता है, जिसका निदान प्रायः बचपन में किया जाता है। पहले इसे केवल ऑटिज्म के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) कहा जाता है। यदि समय पर इसकी पहचान की जाए, तो बच्चों को उचित सहायता प्रदान की जा सकती है।
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है, जो प्रायः बचपन में प्रकट होती है। एएसडी के कारण आपके बच्चे की बातचीत और संवाद करने की शैली में परिवर्तन हो सकता है। ऑटिज्म का कोई निश्चित उपचार नहीं है, लेकिन समय के साथ इसके लक्षणों में कमी आ सकती है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिसमें से कुछ इस प्रकार है समय से पहले बच्चे का जन्म, जन्म के दौरान कॉम्पिकेशन्स, जन्म के समय बच्चे का कम वजन होना,एक भाई-बहन का ऑटिज्म से पीड़ित होना, कुछ क्रोमोसोनल या जेनेटिक कंडीशन होना, बच्चे के जन्म के समय माता-पिता की उम्र 35 या उससे ज्यादा होना, प्रेग्नेंसी के दौरान पेरेंट्स द्वारा वैल्प्रोइक एसिड या थैलिडोमाइड का इस्तेमाल आदि कुछ प्रमुख कारण शामिल है।
ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है, उसी तरह इसे रोका भी नहीं जा सकता है लेकिन हम कुछ बातो को ध्यान रख कर इसके जोखिम को कम कर सकते हैं जैसे हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज, डॉक्टर की दी गई, प्रेग्नेंसी के दौरान शराब से बचे, प्रेग्नेंट होने से पहले जर्मन मीसल्स (रूबेला) वैक्सीन लगवाएं।