Arthritis and back pain: गठिया और पीठ दर्द दोनों को लोग अलग मानते हैं लेकिन इनका आपस में गहरा संबंध बताया जाता है।
Arthritis and back pain: गठिया और पीठ दर्द दोनों ही समस्याएं बहुत आम हैं, और अक्सर लोग इन दोनों को अलग-अलग मानते हैं। हालांकि, इन दोनों में गहरा संबंध हो सकता है, क्योंकि गठिया का असर केवल जोड़ों तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पीठ के हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि गठिया और पीठ दर्द (Arthritis and back pain) के बीच क्या संबंध है और इनका समाधान कैसे किया जा सकता है।
गठिया (Arthritis) एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। यह आमतौर पर घुटनों, कंधों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) जैसे प्रमुख जोड़ों को प्रभावित करता है।
गठिया की वजह से जोड़ों में सूजन, जलन और दर्द होता है, और अगर यह रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) को प्रभावित करता है, तो यह पीठ दर्द का कारण बन सकता है। रीढ़ की हड्डी में गठिया की स्थिति से पीठ के निचले हिस्से (लोअर बैक) में गंभीर दर्द, कमजोरी और जकड़न हो सकती है। गठिया में जोड़ों के बीच होने वाली सूजन और घर्षण से हड्डियों पर दबाव बढ़ता है, जिससे पीठ में असहनीय दर्द होता है।
गठिया और पीठ दर्द (Arthritis and back pain) के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
पीठ में दर्द और अकड़न: विशेष रूप से सुबह उठते समय या लंबे समय तक बैठने के बाद पीठ में जकड़न महसूस हो सकती है।
सूजन और लालिमा: पीठ के निचले हिस्से में सूजन और गर्मी महसूस हो सकती है।
आलस्य और थकान: गठिया के कारण जोड़ों में सूजन और दर्द से शरीर में थकावट और आलस्य बढ़ सकता है।
सिरदर्द और गर्दन में दर्द: कभी-कभी गठिया का असर गर्दन और कंधों तक भी फैल सकता है, जिससे सिरदर्द और कंधे में भी दर्द महसूस हो सकता है।
योग और व्यायाम: नियमित योग और हल्के व्यायाम से गठिया और पीठ दर्द में राहत मिल सकती है।
गर्म और ठंडी सिकाई: पीठ दर्द में राहत पाने के लिए गर्म सिकाई से मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम हो सकते हैं।
आहार में बदलाव: गठिया और पीठ दर्द में आहार का भी महत्वपूर्ण भूमिका है। वजन कम करने के लिए हल्का और संतुलित आहार लें।
मालिश और आयुर्वेदिक तेल: गठिया और पीठ दर्द में सरसों तेल, नारियल तेल या तिल तेल से हल्की मालिश से राहत मिल सकती है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।