Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यूथ के जीवन में स्ट्रेस और डिप्रेशन: क्या हैं इसके कारण और कैसे पाएं समाधान?

Youth stress and depression: आज के यूथ में बेचैनी, स्ट्रेस रहने लगा है। इसके कारण वे शांत रहते हैं। इसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। ऐसे में जानिए इसके कारण और समाधान।

3 min read
Google source verification

भारत

image

Puneet Sharma

Feb 13, 2025

Youth stress and depression

Youth stress and depression

Youth stress and depression: आज की जनरेशन इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में इस कदर डुबी हुई है कि उनको किसी से मिलने बैठनें का समय ही नहीं मिल पा रहा है। वे दूसरे से कदम से कदम प्रतिस्पर्था में लगे हुए है। इसका असर उनकी मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है। जिससे कारण यूथ स्ट्रेस (तनाव) और डिप्रेशन (अवसाद) जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। ये समस्याएं अब बड़े शहरों के साथ छोटे कस्बों में भी फैलने लगी है। ऐसे में जानिए युवाओं में स्ट्रेस और डिप्रेशन के कारण क्या हैं और इससे निपटने के उपाय क्या हो सकते हैं।

स्ट्रेस और डिप्रेशन के कारण : Youth stress and depression

करियर का दबाव

आजकल शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा हो गया है और प्रतिस्पर्धा भी लगातार बढ़ रही है। अच्छे नंबर लाना, अच्छें कॉलेजों में प्रवेश पाना और फिर शानदार करियर बनाने का दबाव युवाओं पर मानसिक बोझ डालता है। इस दबाव के कारण वे खुद को लगातार तनाव में महसूस करते हैं, जो धीरे-धीरे डिप्रेशन में बदल सकता है।

यह भी पढ़ें: Black Coffee Benefits : काली कॉफी शरीर में जमा बेली फैट को पिघाला सकती है, जानिए इसके और भी कई फायदे

सोशल मीडिया पर तुलना

सोशल मीडिया के प्रभाव ने युवाओं के जीवन में एक नया दबाव उत्पन्न किया है। इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर पर दूसरों के "सपनों के जीवन" को देखकर युवा अपने वास्तविक जीवन से असंतुष्ट हो जाते हैं। वे लगातार अपनी ज़िंदगी को दूसरों से तुलना करते हैं, जिससे सेल्फ ग्रोध की कमी महसूस होती है और अवसाद की भावना पैदा होती है।

परिवार और समाज की उम्मीदें

परिवार और समाज की उम्मीदें कभी-कभी बहुत अधिक हो सकती हैं। जब युवा इन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाते, तो उन्हें आत्मविश्वास की कमी होती है, जिससे मानसिक तनाव और अवसाद बढ़ता है। उन्हें हमेशा यह डर बना रहता है कि वे अपने परिवार और समाज की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाएंगे।

संबंधित खबरें

प्राकृतिक हार्मोनल परिवर्तन

किशोरावस्था और युवावस्था में हार्मोनल बदलाव आते हैं, जो मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। इस उम्र में शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करते हुए, युवा अक्सर असमंजस और उलझनों में फंसे रहते हैं, जो उन्हें अवसाद और तनाव का शिकार बना सकते हैं।

आर्थिक असुरक्षा

बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई के कारण आजकल के युवा आर्थिक असुरक्षा महसूस करते हैं। नौकरी की तलाश और वित्तीय समस्याएं मानसिक तनाव का प्रमुख कारण बन सकती हैं, जिससे युवाओं में चिंता और अवसाद की स्थिति उत्पन्न होती है।

स्ट्रेस और डिप्रेशन से निपटने के समाधान

स्वस्थ जीवनशैली अपनाना

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जब आप स्वस्थ रहते हैं, तो मानसिक रूप से भी बेहतर महसूस करते हैं। नियमित व्यायाम, योग और ध्यान करने से तनाव को कम किया जा सकता है। सही आहार और पर्याप्त नींद लेना भी मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।

मेंटल हेल्प

यदि आप मानसिक रूप से थक चुके हैं या डिप्रेशन महसूस कर रहे हैं, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मदद लेना जरूरी है। एक अच्छे काउंसलर या मनोचिकित्सक से बात करने से आपकी समस्याओं का हल मिल सकता है और आपको बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती है।

सोशल मीडिया की समय सीमा तय करना

सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग मानसिक तनाव को बढ़ा सकता है। युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है कि सोशल मीडिया पर हर चीज़ वास्तविक नहीं होती। अपना समय सही तरीके से प्रबंधित करें और केवल सकारात्मक और प्रेरणादायक सामग्री से जुड़ें।

यह भी पढ़ें: जल्द पहचान से घट सकता है Heart Attack का खतरा : डॉ. दीपक माहेश्वरी

निष्कर्ष

आज के युवा जीवन की चुनौतियों और दबावों से जूझ रहे हैं, लेकिन यदि सही कदम उठाए जाएं, तो स्ट्रेस और डिप्रेशन से निपटा जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना, सकारात्मक सोच अपनाना, और सही समय पर मदद लेना युवाओं को इस संकट से उबार सकता है।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।