Heart attack increase in winter : सर्दियों के मौसम में ठंड का प्रभाव न केवल हमारे शरीर पर बल्कि हृदय पर भी गहरा पड़ता है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेमंत चतुर्वेदी, जयपुर, बताते हैं कि ठंड के कारण शरीर का सिम्पटथेटिक सिस्टम उत्तेजित हो जाता है, जिससे हृदय में रक्त प्रवाह और धड़कन बढ़ जाती है।
Heart attack increase in winter : सर्दियों में हृदय से संबंधित बीमारियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जाती है, जिसमें दिल का दौरा, हृदयगति रुकना और हृदय विफलता (Heart attack increase in winter) की घटनाएं लगभग 14-20% तक बढ़ जाती हैं। यह वृद्धि मुख्य रूप से ठंडे तापमान के शरीर पर पड़ने वाले शारीरिक प्रभाव के कारण होती है। अत्यधिक ठंड या अचानक तापमान में बदलाव से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ सकती हैं (वेसोकंस्ट्रिक्शन), जिससे रक्तचाप बढ़ता है। यह संकुचन एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक को फटने का कारण बन सकता है, जिससे रक्त वाहिकाओं में रुकावट और हृदयगति रुकने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट जयपुर डॉक्टर हेमंत चतुर्वेदी ने बताया कि सर्दी के मौसम (Heart attack increase in winter) में ठंड हमारे शरीर के सिम्पटथेटिक सिस्टम को उत्तेजित कर देता है जिससे हार्ट में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, धड़कन भी बढ़ जाती है जिससे हार्ट पर ज्यादा काम करने का दबाव पड़ता है।
सर्दी के मौसम में कभी कभी धूप ठीक से नही निकलती जिससे धूप के जरिए विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में नही मिलता। विटामिन डी हार्ट के हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है।
डॉक्टर हेमंत चतुर्वेदी ने कहा, अगर आप हृदय से संबंधित किसी समस्या से पीड़ित हैं तो सर्दियों में सुबह की सैर और व्यायाम के दौरान खास ख्याल रखने की जरूरत है। इस मौसम में व्यायाम या सैर के दौरान धमनियां सिकुड़ सकती हैं और खून गाढ़ा हो जाता है। इस वजह से ब्लड क्लॉट बनने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक (Heart attack increase in winter) होने की प्रबल आशंका होती है।
सर्दियों में वायु प्रदूषण भी एक अहम कारण है। ठंडा मौसम, धुंध और प्रदूषक तत्व न केवल फेफड़ों में ऑक्सिजन की मात्रा प्रभावित करते हैं बल्कि हार्ट की पम्पिंग क्षमता को भी कम करके हार्ट फेलियर (Heart attack in winter) की अवस्था ला सकते हैं।
जिन व्यक्तियों को पहले से हृदय संबंधी समस्याएं हैं, जैसे कोरोनरी आर्टरी रोग, उच्च रक्तचाप, या मधुमेह, और वृद्ध जनसंख्या सर्दियों में अधिक जोखिम में रहती है।
समस्या:
सर्दियों में हार्मोनल बदलाव के कारण भूख बढ़ जाती है। इसके अलावा खाने की आदतों के चलते लोग अधिक तले हुए भोजन (जैसे पकोड़े), मीठे व्यंजन और उच्च कैलोरी युक्त पदार्थों का सेवन करते हैं।
समाधान:
भोजन को छोटे-छोटे भागों में बांटकर बार-बार खाएं। इसमें ताजे सब्जियों के सलाद, फल और स्वस्थ नाश्ते (जैसे बादाम, अखरोट, अलसी के बीज, और चिया बीज) शामिल करें।
समस्या:
कई लोग सोचते हैं कि धूम्रपान और शराब शरीर को गर्म रखते हैं और सर्दियों को सहने में मदद करते हैं।
समाधान:
धूम्रपान और शराब किसी भी मौसम में खतरनाक हैं और इन्हें किसी भी कीमत पर टालना चाहिए। सर्दियों में गर्म रहने के लिए स्वस्थ विकल्प अपनाएं, जैसे कॉफी, चाय (कम वसा वाले दूध और कम या बिना चीनी के) और सब्जियों से बनी सूप का सेवन करें।
समस्या:
सर्दियों में मूड खराब, सुस्ती और आलस्य बढ़ जाता है। दिन के छोटे समय के कारण शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे वजन बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
समाधान:
इनडोर व्यायाम विकल्पों, जैसे ट्रेडमिल पर चलना, योग (जैसे सूर्य नमस्कार), और अन्य व्यायाम अपनाएं। बाहर गर्म कपड़े पहनकर हल्की दौड़ या टहलने जैसी गतिविधियां करें।
समस्या:
सर्दियों में रक्त वाहिकाओं के सिकुड़ने और हार्मोनल बदलाव के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है।
समाधान:
सर्दियों से पहले डॉक्टर से सलाह लें और अपनी नियमित दवाओं की खुराक की समीक्षा कराएं। घर पर रक्तचाप की नियमित जांच करें और इसके अनुसार उपाय करें।
समस्या:
सर्दियों में रक्तचाप बढ़ने, ठंडे मौसम के संपर्क और तनाव के कारण हर साल दिल के दौरे और अचानक हृदयगति रुकने की घटनाएं बढ़ती हैं।
समाधान:
30 साल से अधिक उम्र के लोगों को सर्दियों से पहले हेल्थ चेकअप कराना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर जानें और उनका प्रबंधन करें। वृद्धजनों को सुबह की सैर सूरज निकलने के बाद करनी चाहिए।
समस्या
सर्दियों में हार्ट फेलियर की घटनाएं बढ़ जाती हैं। ठंडे मौसम और संक्रमण (जैसे फ्लू) के कारण स्थिति बिगड़ सकती है।
समाधान:
जिन मरीजों को पहले से हृदय संबंधी समस्याएं हैं, वे दवाओं की खुराक की समीक्षा करें और सर्दियों में फ्लू के टीके लगवाएं। यह संक्रमणों की गंभीरता को कम करेगा और आपातकालीन स्थितियों से बचाएगा।