साध्वी वीरेशमालाश्री की राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत
व्याख्यान से प्रभावित होकर कई युवा व बच्चे रात्रि भोजन त्याग एवं कन्दमूल-फल छोडऩे के लिए नियम ले रहे हैं। कई बड़ों ने कन्दमूल-फल आजीवन छोडऩे का संकल्प लिया है। जबकि कई बच्चों ने कुछ समय के लिए कन्दमूल-फल त्यागने का संकल्प लिया है। रात्रि भोजन नहीं करने का संकल्प भी लिया है। साध्वी वीरेशमाला ने करीब 14 वर्ष पहले यशोवर्म सूरीश्वर की निश्रा में दीक्षा ली। सांसारिक जीवन राजस्थान के तख्तगढ़ से हैं। कर्नाटक के विजयपुर में चातुर्मास विराजित साध्वी वीरेशमालाश्री ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में धर्म, संस्कार, संस्कृति समेत विभिन्न विषयों पर बात की। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल: युवा वर्ग में धर्म के प्रति रूचि कम होने का क्या कारण है?
साध्वी: धार्मिक आयोजन में युवाओं की कम रूचि का कारण यही है कि यहां बंधन अधिक है। युवाओं को एक जैसा जीवन कम पसंद है। यंत्रवाद बढ़ गया है। धर्म में त्याग की भावना अधिक रहती है। दूसरी चीजों में राग का माहौल है। क्षणिक सुख हैं वहां।
सवाल: मौजूदा समय में मोबाइल हमारे लिए कितना जरूरी है?
साध्वी: मोबाइल का यदि सदुपयोग किया जाता है तो वह अच्छा ही है लेकिन यदि इसका दुरुपयोग हो रहा है तो यह उचित नहीं है। मोबाइल ने परिवार से दूर कर दिया है। हमारी मेमोरी पॉवर भी कमजोर हुई है। पहले कई लोगों के फोन नंबर याद रहते थे लेकिन मोबाइल के चलन के बढऩे के बाद से हमें कुछ लोगों के फोन नंबर भी याद नहीं है। मोबाइल ने व्यक्ति को एकांतपसंद बना दिया है।
सवाल: आजकल व्यक्ति छोटी उम्र में ही कई बीमारियों से ग्रसित रहने लगा हैं, इसका क्या कारण है?
साध्वी: जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन। खान-पान बहुत बदल गया है। बाहरी भोजन का असर हो रहा है। सात्विक भोजन की तरफ झुकाव बढ़ाकर बीमारियों को कम कर सकते हैं।
सवाल: एकल परिवार का चलन बढ़ रहा है, इसकी क्या वजह है?
साध्वी: आजकल हर किसी को स्वतंत्रता चाहिए। वे मर्यादा में नहीं रहना चाहते। यही वजह है कि एकल परिवार का चलन अधिक हो रहा है।
सवाल: बच्चों को संस्कारित करने में संस्कारशालाओं का कितना योगदान है?
साध्वी: संस्कारशालाओं में सौ बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक एक ही है। ऐसे में संस्कारों का असर कम हो रहा है। बच्चे यदि अधिक हैं तो शिक्षकों की संख्या भी बढऩी चाहिए। ताकि शिक्षक हर बच्चे पर ध्यान केन्द्रीत कर सकें। हर तीन महीने में बच्चे की परीक्षा हो।
सवाल: नई पीढ़ी को धर्म के प्रति कैसे जोड़ा जा सकता हैं?
साध्वी: नई पीढ़ी को व्याख्यान से जोडऩे के लिए लगातार प्रयास किए जाते हैं। विभिन्न एक्टीविटी के माध्यम से नई पीढ़ी को जोड़ा जा रहा है। युवा वर्ग बिजनेस में व्यस्त होने के कारण वे व्याख्यान में कम आ पाते हैं।
सवाल: इस बार चातुर्मास में किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है?
साध्वी: जन को जैन बना रहे हैं। छोटी-छोटी बातों को बारीकी से बता रहे हैं। पूजा, सामायिक, प्रतिक्रमण क्यों व कैसे करना है, इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं। खुद को जानो। खुद को पहचानो। यानी परम स्पर्श के बारे में बता रहे हैं।