उत्तर कन्नड़ जिले के कई हिस्सों में सुपारी की कटाई का मौसम इस बार संकट के साए में शुरू हुआ है। लंबे समय तक हुई भारी बारिश और लगातार फैलती लीफ स्पॉट तथा रॉट बीमारी ने फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। कई क्षेत्रों में सुपारी की पैदावार 40 फीसदी से भी अधिक घट गई है, जबकि कुछ गांवों में खेती पूरी तरह चौपट होने की स्थिति में पहुंच गई है। इससे किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं और सरकार से तत्काल राहत की मांग कर रहे हैं।
तनों के सडऩे की समस्या बढ़ी
जिले में मई के दूसरे सप्ताह से शुरू हुई बारिश लगभग पांच महीनों तक जारी रही, जिससे सुपारी के पेड़ों में पत्ती गिरने और तनों के सडऩे की समस्या बढ़ी। किसानों का कहना है कि नमी के कारण बीमारी ने तेजी से फैलकर पेड़ों की उत्पादकता घटा दी। कई बागानों में जहां पहले 40 क्विंटल तक उत्पादन होता था, वहां अब मुश्किल से कुछ क्विंटल सुपारी मिल रही है।
पेड़ों के ऊपरी हिस्से तेजी से सूख रहे
एक किसान बताते हैं कि पेड़ों के ऊपरी हिस्से तेजी से सूख रहे हैं, जिससे उनका जीवनचक्र खत्म हो रहा है। किसानों का कहना है कि ब्लाइट बीमारी और लीफ स्पॉट को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों पर भारी खर्च करना पड़ता है, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं मिल रहे। अधिकांश किसान खेती के लिए बैंक लोन लेते हैं, लेकिन फसल खराब होने से ऋण चुकाना मुश्किल हो गया है। इसलिए किसान संगठनों ने सरकार से मांग की है कि ब्याज माफ किया जाए और पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाई जाए। पिछले वर्ष केंद्र और राज्य सरकार ने वैज्ञानिकों की टीम भेजी थी, लेकिन अभी तक बीमारी पर असरदार नियंत्रण नहीं मिल सका है। किसानों का कहना है कि यदि जल्द उपाय नहीं किए गए तो सुपारी उद्योग को लंबी अवधि में भारी नुकसान होगा।