राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने यहां गदग (कर्नाटक) के पास अन्नीगेरी जैन स्थानक में व्याख्यान के दौरान कहा कि एकता की नींव पर ही अहिंसा की मंजिल खड़ी की जा सकती है। एकता में विश्वास नहीं अहिंसा उसके पास नहीं।
एकता में बड़ी ताकत
मुनि ने कहा कि तिनका अलग-अलग पड़ा हुआ है तब कचरा लगता है। वही रस्सी का रूप ले लें तो हाथी बांधने की क्षमता पैदा हो जाती है। उहोंने कहा कि सभी महापुरुषों ने अपना सर्वस्व न्योछावर करके एकता के सूत्र में पिरोया। एकता धर्म साधना और मोक्ष साधना से बढ़कर है।
संगठन से बड़ा और कोई धर्म नहीं हो सकता
मुनि कमलेश ने कहा, वर्तमान युग में संगठन से बड़ा और कोई धर्म नहीं हो सकता। साधना से सफलता में देरी लग सकती है लेकिन संगठन में दूसरे ही पल सफलता मिलती है। राष्ट्रसंत ने कहा कि किसी भी नाम से संगठन हो, उसका लक्ष्य समन्वय, प्रेम और एकता हो तो वह पूजनीय है।
4 अप्रेल को जैन स्थानक में होंगे प्रवचन
जैन संत ने कहा कि जाति, पंथ, प्रांत, संकीर्ण विचारों के संगठन मानव-मानव में खाई पैदा करते हैं। विचारों का टकराव परमाणु बम से भी खतरनाक है। गदक श्रावक संघ के पदाधिकारियों ने विहार सेवा का लाभ लिया। 4 अप्रेल को जैन स्थानक में प्रवचन होंगे।