हुबली

सीरवी समाज हुब्बल्ली-धारवाड़: आई माता की आराधना को लेकर दो दिवसीय धार्मिक आयोजन 4 सितम्बर से

पहले दिन होगा रात्रि जागरण, कलाकार देंगे भजनों की प्रस्तुति

2 min read
आई माता

सीरवी समाज की कुलदेवी आई माता की आराधना को लेकर हुब्बल्ली (कर्नाटक) में दो दिवसीय धार्मिक आयोजन 4 एवं 5 सितम्बर को होंगे। पहले दिन 4 सितम्बर को सायं 7.30 बजे से रात्रि जागरण एवं दूसरे दिन 5 सितम्बर को दोपहर 12.15 बजे से प्रसादी का आयोजन किया जाएगा। दोनों दिन श्री सीरवी समाज हुब्बल्ली-धारवाड़ के तत्वावधान में हुब्बल्ली के केशवापुर स्थित लविष गार्डन में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भाद्रवा सुदी बीज की पूर्व संध्या पर 4 सितम्बर को आयोजित रात्रि जागरण में भजन कलाकार भजनों की सुमधुर प्रस्तुति देंगे। हर साल सीरवी समाज की ओर से भाद्रवा सुदी बीज का पर्व उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जाता है। इस आयोजन में सीरवी समाज के साथ ही विभिन्न प्रवासी समाज के लोग भी शामिल होंगे। सीरवी समाज की आई माता के प्रति अटूट श्रद्धा और आस्था हैं। देशभर में आई माता के सैकड़ों मंदिर (वढेर) बने हुए हैं। श्री सीरवी समाज हुब्बल्ली-धारवाड़ के पदाधिकारी एवं सदस्य तैयारियों में लगे हुए हैं।

बिलाड़ा में आई माता का प्रसिद्ध मंदिर
राजस्थान के जोधपुर जिले का बिलाड़ा में आई माता का प्रसिद्ध मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। क्तों के अनुसार यहां माता आई थी इसलिए इस मंदिर को आईजी माता के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा का अवतार आईमाता गुजरात के अम्बापुर में अवतरित हुई थी। अम्बापुर में कई चमत्कारों के पश्चात आईमाता भ्रमण करते हुए बिलाड़ा आईं। मंदिर को केशर ज्योति मंदिर के नाम से देश और दुनिया में जाना जाता हैं। यहां पर उन्होंने भक्तों को 11 गुण व सदैव सन्मार्ग पर चलने के सदुपदेश दिए। ये 11 गुण आज भी लोग जानते है तथा उनके दिए आशीर्वाद को समझ कर उसका पालन भी करते हैं। इन उपदेशों के बाद एक दिन उन्होंने हज़ारों भक्तों के समक्ष स्वयं को अखंड ज्योति में विलीन कर दिया। इसी अखंड ज्योति से केसर प्रकट होता है, जो आज भी मंदिर में माताजी की उपस्थिति का साक्षात् प्रमाण है। मान्यता है की दीवान वंशज के राजा माधव अचानक कहीं गायब हो गए थे और माता उन्हें ढूंढने निकली। राजा माधव माता को इसी गांव में मिले थे। तभी से मां इस मंदिर में विराजित है। इस मंदिर के अंदर जलने वाला अखंड दीपक करीब साढ़े पांच सौ वर्षों से जल रहा है। लोगों का मानना है कि इस अखंड दीपक से निकलने वाली लौ से निकलने वाला पदार्थ केसर है। यहां हजारों लोग पूजा करने और मन्नत मांगने आते है। लोगों की मन्नत पूरी होने पर वे आई माता को चढ़ावा चढ़ाते है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार आज से साढ़े पांच सौ साल पहले आई माता ने स्वयं इस ज्योत को जलाया था। तभी से यह देशी घी की अखंड ज्योत जलती आ रही है। चैत्र माह में इस मंदिर पर विशाल मेला भी लगता है।

Updated on:
01 Sept 2024 07:18 pm
Published on:
01 Sept 2024 07:09 pm
Also Read
View All

अगली खबर