जिला इंचार्ज मंत्री संतोष लाड द्वारा प्रस्तावित हुबली-धारवाड़ इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांजिट प्रोजेक्ट के लागू होने पर अब गंभीर संदेह खड़ा हो गया है। लगभग 6,500 करोड़ रुपए की भारी लागत और कॉस्ट-शेयरिंग मॉडल पर सहमति नहीं बनने के कारण सरकार ने इस परियोजना को तत्काल आगे बढ़ाने से दूरी बना ली है। ब्याज और 15 वर्ष के मेंटेनेंस सहित प्रस्तुत लागत ने सरकार को आशंकित किया है।
जिला इंचार्ज मंत्री संतोष लाड द्वारा प्रस्तावित हुबली-धारवाड़ इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांजिट प्रोजेक्ट के लागू होने पर अब गंभीर संदेह खड़ा हो गया है। लगभग 6,500 करोड़ रुपए की भारी लागत और कॉस्ट-शेयरिंग मॉडल पर सहमति नहीं बनने के कारण सरकार ने इस परियोजना को तत्काल आगे बढ़ाने से दूरी बना ली है। ब्याज और 15 वर्ष के मेंटेनेंस सहित प्रस्तुत लागत ने सरकार को आशंकित किया है।
बेलगावी स्थित सुवर्णा विधान सौधा में मंगलवार को प्रोजेक्ट का डेमोंस्ट्रेशन किया गया। बैठक में परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी, शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश, मंत्री संतोष लाड, विधायकों तथा वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। प्रस्तुति के दौरान प्राइवेट कंपनी ने हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल पेश किया, जिसके अनुसार राज्य सरकार को 40 फीसदी निवेश (कैपिटल शेयर) करना था और बाकी 60 फीसदी कंपनी वहन करती।
लेकिन राज्य सरकार ने ऐतराज जताते हुए कहा कि टियर2 शहरों के लिए इतनी ऊँची इक्विटी देना संभव नहीं है।
मंत्री संतोष लाड ने बताया कि कंपनी प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को राजी हो गई है। बैठक में विधायक अरविंद बेलद ने शहर के मध्य क्षेत्र में फ्लाईओवर निर्माण को लेकर चिंता जताई, जबकि विधायक महेश टेंगिनकाई ने परियोजना की व्यवहारिकता पर सवाल उठाए।