Patrika Raksha Kavach Abhiyan: यह सिर्फ खबर नहीं है, जागरूकता की नजीर है...यदि आपको लगे कि बैंक की गलती से ऑनलाइन ठगी हुई तो विज्ञान व टेक्नोलॉजी विभाग के ऑफिस ऑफ एडज्यूकेटिंग पत्रिका ऑफिसर वल्लभ भवन मंत्रालय भोपाल में अपील करें, मिल सकती है राहत...
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में पीडि़ता को बड़ी राहत मिली है। पलासिया की वंदना मिश्रा को एसबीआइ में उनके खाते की केवायसी अपडेट के लिए मैसेज मिला। उन्होंने संबंधित नंबर पर कॉल कर ओटीपी बता दी।
ठगों ने उनके खाते में नेट बैंकिंग चालू कर अपना नंबर जोड़ा और ऐप सर्विस शुरू कर ली। खाते में पत्रकार कॉलोनी ब्रांच का खाता भी जुड़ा था। इसमें 32 लाख की एफडी थी। ठगों ने एफडी पर 37 लाख के ओवरड्राफ्ट मंजूर करा रुपए निकाल लिए।
नेट बैंकिंग शुरू करने के लिए अकाउंट डिटेल, सीआइएफ नंबर, एमटीएम कार्ड डिटेल, 4 डिजिट का नंबर जरूरी है। इसे वंदना ने ठगों को नहीं दिए थे, फिर नेट बैंकिंग शुरू हुई और रुपए गायब हो गए। (न्यायालय) ऑफिस ऑफ एडज्यूकेटिंग ऑफिसर, विज्ञान टेनोलॉजी विभाग (एमपी) निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने बैंक की सुरक्षा प्रणाली में सेंध मानते हुए बैंक को आदेश दिया कि वे एफडी जारी करें, अतिरिक्त राशि ब्याज समेत लौटाएं।
ऐसा न करने कलेक्टर को कुर्की और बैंक अफसर के डिजिटल हस्ताक्षर निलंबित करने के आदेश दिए। ऑनलाइन ठगी में बैंक की गलती से रुपए उड़ाने के मामले में देश में पहली बार ऐसी राहत ग्राहक को मिली है।
मध्यप्रदेश में 2023 और 2024 में ऑनलाइन ठगी के 965 मामलों में 138 करोड़ तो डिजिटल अरेस्ट के 27 केस में 14 करोड़ रुपए की ठगी हुई। ठगों से 18 करोड़ रुपए जत किए गए। 510 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
यह जानकारी गृह विभाग ने विस में सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल पर दी। विभाग ने बताया, 2023 में भोपाल में ऑनलाइन ठगी 53, इंदौर में 184 के साथ 444 केस सामने आए। इनमें 444 केस में 19 करोड़ की ठगी की राशि 2024 बढ़कर 94 करोड़ हो गई।
2024 में भोपाल में 77, इंदौर में 141, जबलपुर में 94, उज्जैन में 44 मिलाकर 521 प्रकरण आए। 2023 से 2024 में प्रकरण में 20% वृद्धि हुई लेकिन ठगी की राशि पांच गुना बढ़ी।
ये ठगी पुलिस , बैंक, इनकम टैक्स, सीबीआइ, कस्टम, ट्राई के अफसर बनकर की गई। साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता के 2023 में 3270 अभियान में 12 लाख व 2024 में 3788 अभियान में 14 लाख लोगों ने हिस्सा लिया ।
न्यायालय ने पाया-वंदना ने ओटीपी साझा किया, पर बैंक यह सबूत देने में फेल रहा कि ठगों को पासवर्ड बनाने के लिए खाता, एटीएम कार्ड विवरण, सीआइएफ नंबर कैसे मिले। पीड़िता की एफडी 32 लाख की थी, जबकि बैंक ने ओडी ज्यादा दे दी।
ठग तीन दिन ठगी करते रहे, पर बैंक से अलर्ट नहीं आया। पीड़िता को आरटीआइ में मिली जानकारी से पता चला ठगों ने दो दिन में पांच ओडी ली। इतना ही नहीं, उनके खाते में दो मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड मिले। यह गलत था।
वंदना ने वकील यशदीप चतुर्वेदी ने आइटी एक्ट की धारा-43 व 45 के तहत एडज्यूकेटिंग ऑफिसर से अपील की। बैंक की कमी बताई।
कमी-1 -महिला ने कहा मैंने ओटीपी बताया। लेकिन बाकी जानकारी नहीं दी। तब भी नेट बैंकिंग शुरू हो गई। यानी, ठगों के पास पहले से सारी जानकारी थी।
कमी-2 -एफडी पर ओडी मंजूर हो गई, वह भी एफडी की राशि से ज्यादा की।
कमी-3 -खाते से पैसा निकल गया लेकिन बैंक से एसएमएस अलर्ट नहीं आया, जो सुरक्षा प्रणाली की कमी है। हालांकि बैंक ने सभी आरोपों को नकारा।