Indore traders decided to celebrate Diwali on 31 October इंदौर के व्यापारियों ने दिवाली की तारीख पर भ्रम फैलाने की निंदा की
देशभर की तरह मध्यप्रदेश में भी इस बार दिवाली की तारीख Diwali Date 2024 पर संशय बना हुआ है। कार्तिक माह की अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर यानि दो दिन होने से भ्रम की स्थिति बन गई है। हालांकि प्रदेश के ज्यादातर ज्योतिषी, पंचांगकर्ता, धर्माचार्यों ने 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाना ज्यादा उचित माना है। राजधानी भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर जैसे महानगरों सहित प्रदेशभर के व्यापारियों ने भी 31 अक्टूबर को ही दिवाली Diwali Date 2024 मनाने का निर्णय लिया है। बाजारों में इसी दिन धूम धड़ाके की तैयारियां की जा रहीं हैं, ग्राहकों को भी सूचना दी जा रही है। इंदौर के व्यापारियों ने दिवाली की तारीख पर फैला भ्रम दूर करने बड़ा कदम उठाया है।
दिवाली हमारे देश का सबसे बड़ा त्योहार है। इस महापर्व की तारीख पर संशय दूर करने इंदौर के व्यापारियों ने एकजुटता दिखाते हुए बाकायदा अभियान सा चला दिया है। व्यापारियों का कहना है कि ज्योति पर्व की तारीख Diwali Date 2024 पर भ्रम फैलाकर कुछ लोग हिंदुओं को बांटने की साजिश में लग गए हैं।
इंदौर के सौ से ज्यादा व्यापारी संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली अहिल्या चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने की बात कही है। इस संबंध में संस्था ने सभी व्यापारियों और व्यापारी संगठनों व बाजार प्रमुखों को पत्र भी भेजा है।
चेंबर के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने दिवाली की तिथि को लेकर चल रहे मतभेदों को निंदनीय करार दिया। उनका कहना है कि काशी और उज्जैन में 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने का निर्णय लिया गया है जोकि सामान्य विवेक से भी उचित और सुविधाजनक लग रहा है। इसके बाद भी इंदौर के कुछ पंडित-पुजारी भ्रम फैला कर समाज और हिंदुओं को बांटने में लगे हैं।
अहिल्या चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का कहना है कि दिवाली से आम लोगों से लेकर बाजार, व्यापारी, मजदूरों तक की उम्मीदें जुड़ी रहती हैं। ऐसे में तारीख पर भ्रम फैलाने से त्योहार का उल्लास कम करने की कोशिश की जा रही है। इंदौर के सभी व्यापारियों की ओर से पत्र जारी कर कहा है कि सभी बाजार और व्यापारी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएंगे। इंदौर की तरह राजधानी भोपाल में भी सभी व्यापारियों ने 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने की तैयारियां की हैं।
दिवाली की तारीख को लेकर पंचांगभेद के कारण संशय की स्थिति बनी है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक अमावस्या पर रात में दिवाली मनाई जाती है। कुछ पंडित, पुजारी और पंचांगकर्ता तर्क दे रहे हैं कि उदया तिथि के अनुसार 1 नवंबर को दिवाली मनाना उचित होगा। इसके उलट अधिकांश विद्वानों का कहना है कि दिवाली की पूजा अमावस्या की रात में की जाती है जोकि 31 अक्टूबर को ही रहेगी। 1 नवंबर को शाम को ही अमावस्या तिथि समाप्त हो जाएगी। प्रदेशभर के व्यापारी संगठनों ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने का फैसला लिया है।