MP News: हर मकान को यूनिक डिजिटल पहचान दी जाएगी, जिसे स्कैन करते ही संपत्ति कर, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, कचरा संग्रहण जैसी सुविधाओं की जानकारी मिल सकेगी।
MP News: एमपी के इंदौर शहर को अब डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में भी मॉडल बनाने की तैयारी है। नगर निगम जल्द ही हर घर डिजिटल पता, ऑन-डिमांड कचरा कलेक्शन ऐप और एकीकृत नागरिक पोर्टल जैसी योजनाएं शुरू करेगा। इसके तहत हर मकान को यूनिक डिजिटल पहचान दी जाएगी, जिसे स्कैन करते ही संपत्ति कर, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र, कचरा संग्रहण जैसी सुविधाओं की जानकारी मिल सकेगी।
हालांकि जहां एक ओर महापौर और नगर निगम के अफसर इन योजनाओं को जल्द लागू करने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर निगम की मौजूदा डिजिटल सेवाएं पहले से ही चरमराई हुई है। ई-नगर पालिका पोर्टल दो साल से अधूरा और डेटा गड़बड़ी से जूझ रहा है।
नगर निगम ने हर घर डिजिटल पता योजना को वार्ड 82 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक मकान के बाहर एक शीट लगाई जा रही है, जिस पर एक विशिष्ट क्यूआर कोड होगा। इस कोड को स्कैन कर निगम से संबंधित सभी जरूरी जानकारियां प्राप्त की जा सकेंगी।
इंदौर नगर निगम तीन चरणों में अपना इंटीग्रेटेड सिटिजन पोर्टल लॉन्च करेगा। जानिए कैसे करेगा काम…..
पहला चरण (पहले 3 महीने)- प्रॉपर्टी टैक्स की ऑनलाइन सुविधा चालू होगी।
दूसरा चरण (अगले 3 महीने)- जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र की सेवाएं जोड़ी जाएंगी।
तीसरा चरण (फिर अगले 3 महीने)- नागरिक शिकायत निवारण प्रणाली शुरू की जाएगी।
नगर निगम ऑन-डिमांड वेस्ट कलेक्शन ऐप भी लॉन्च करने की तैयारी में है। इस ऐप से शहरवासी अपनी सुविधा अनुसार कचरा उठवाने की सेवा बुक कर सकेंगे। बुकिंग के बाद निगम कर्मचारी कचरा संग्रहण के लिए पहुंचेंगे। ऐप के जरिए ही इसकी मॉनिटरिंग और फीडबैक की व्यवस्था भी की जाएगी।
सिटी बस ऑफिस में मंगलवार को आयोजित बैठक में महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगम अधिकारियों ने डिजिटल सेवाएं देने वाली कंपनियों के प्रेजेंटेशन देखे। महापौर ने भरोसा जताया कि इंदौर डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में भी देश के लिए एक मॉडल बनेगा। उनके अनुसार डिजिटल सेवाओं से नागरिकों की भागीदारी बढ़ेगी और पारदर्शिता भी आएगी।
-अभी तक ई-नगर पालिका पोर्टल ही नहीं सुधर पाया।
-राजस्व विभाग से जुड़ा डाटा पोर्टल पर गायब है।
-ऑनलाइन सेवा के लिए बार-बार निगम कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
-पुराने पोर्टल से नया डाटा माइग्रेट करते समय कई सूचनाएं अपडेट नहीं हो पाईं।