आजकल लोग कथा का आयोजन करते हैं। सुना और खूब भक्ति भाव प्रदर्शित किया, लेकिन खत्म होने के बाद उसमें बताए गए मार्ग पर चलना भूल जाते हैं।
Bhagwat Katha : भागवत कथा साक्षात श्रीकृष्ण हैं और श्रीकृष्ण ही साक्षात भागवत हैं। ये कथा न केवल भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर भी करती है। बस आवश्यकता है तो इसे श्रवण कर आत्मसात करने की।
आजकल लोग कथा का आयोजन करते हैं। सुना और खूब भक्ति भाव प्रदर्शित किया, लेकिन खत्म होने के बाद उसमें बताए गए मार्ग पर चलना भूल जाते हैं। भगवान के मुख से निकला एक-एक वाक्य श्रीमद् भागवत के श्लोक हैं। उक्त प्रवचन डॉ. सत्येन्द्र स्वरूप शास्त्री ने न्यू जगदम्बा कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ सप्ताह के समापन अवसर पर सोमवार को दिए।
उन्होंने पांडवों को मिली श्री कृष्ण की कृपा को बताते हुए कहा कि परीक्षित कलयुग के प्रभाव के कारण ऋषि से श्रापित हो जाते हैं। जिसके बाद वे शुकदेव के पास गए और जहां उन्हें भागवत कथा की महत्ता पता चलती है। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है। श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। हम खुशकिस्मत हैं जो बड़े भाग्य से मनुष्य योनि में जन्म हुआ है।
कथाव्यास स्वामी गिरिजानंद ने फूटाताल, मानसताल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सुदामा चरित की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों में सुदामा की भक्ति सर्वश्रेष्ठ है। भगवान के प्रति समर्पण एवं अनुराग का नाम ही सुदामा है। कथा के अंतिम दिवस सुदामा की कथा का अभिप्राय यह होता है कि पूरी कथा श्रवण करने के बाद जीव का मन सुदामा की तरह निर्मल हो जाता है। निर्मल मन वाला व्यक्ति भगवान को प्राप्त कर लेता है ।
Bhagwat Katha : उन्होंने कहा कि भगवान भक्तों के अधीन रहते हैं। सुदामा के चार मुट्ठी चावल के बदले भगवान ने उन्हें सर्वस्व प्रदान कर दिया। जय श्रीराम सेवा समिति ने आयोजन किया। कथा विश्राम के समय भक्तों ने फूलों की होली का कार्यक्रम प्रस्तुत किया।