<strong>विवरण</strong> भगवान श्रीकृष्ण काली का रूप रखकर यमुना तट के केशीघाट पर दर्शन दिए थे, तभी से इस पवित्र स्थान को कृष्ण काली पीठ नाम दिया गया है। सती खंड से उत्पन्न पीठों में शामिल श्रीकृष्ण काली पीठ प्राचीन सिद्ध स्थली है। 500 साल पहले जब वृंदावन में प्रकाश हुआ, तो पीठ का प्रकाश भी चैतन्य महाप्रभु के अनुयायियों ने किया। कृष्ण काली स्त्रोत के अनुसार श्रीराधाजी को प्रसन्न करने के लिए भगवान कृष्ण ने काली का रूप लिया था। मां कृष्ण काली का पांच फीट लंबा दिव्य ग्रह विग्रह है, जिनका मुखारबिंद और चरण श्रीकृष्ण जैसे हैं। लंबी जिव्हा, काली में परिवर्तित हुए कृष्ण की चतुर्भुजा खड़ग बनी वंशी और मुंडमाला में तब्दील हुई बनमाला के दर्शन आज भी हो रहे हैं।
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