शहर के युवाओं को ईयरफोन, ईयरबड्स का तेज साउंड कर रहा ‘बहरा’
जबलपुर. 90 के दशक की मशहूर गायिका अलका याज्ञनिक को अचानक सुनाई न देने की समस्या आ गई है। सीधे तौर पर कहा जाए तो कानों से सुनाई नहीं दे रहा है। इसके बारे में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए न केवल जानकारी दी, बल्कि प्रशंसकों को तेज साउंड न सुनने की सलाह भी दी है। उनकी इस प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर इस पर बहस तेज हो गई है। हालांकि उन्हें रेयर न्यूरो डिसीज हुई है, जिसका ट्रीटमेंट वे करवा रही हैं। यह बहुत कम लोगों में होती है। वहीं ईएनटी विशेषज्ञों का कहना है कि शहर के युवाओं में भी बुढ़ापे वाली समस्या आने लगी है। उनकी सुनने की क्षमता लगातार कम हो रही है। इसके पीछ्े तेज म्यूजिक सुनने की आदत और मोबाइल के ईयरफोन आदि मुख्य वजह हैं। यही नहीं सुनने के साथ साथ कानों में इंफेक्शन को लेकर भी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।
हेडफोन, ईयरबड्स, नेकबैंड बढ़ा रहे बहरापन
ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. नितिन श्रीनिवासन के अनुसार आमतौर पर 60 या उससे अधिक उम्र होने के बाद व्यक्ति में सुनने की क्षमता कम होने लगती है, लेकिन वर्तमान की गैजेट्स यूज्ड लाइफस्टाइल के चलते ये समस्या 15 साल की किशोरावस्था से लेकर 35 साल के युवा तक में देखी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह मोबाइल फोन का तेज साउंड, ईयरफोन, ईयरबड्स, हैडफोन मुख्य वजह हैं। वर्तमान में इनकी उपयोगिता भले ही बढ़ी हो लेकिन इनका अधिक इस्तेमाल युवाओं में बहरेपन का रिस्क भी बढ़ रहा है। कान की सुनने की क्षमता कम करने में सबसे ज्यादा प्रभाव इन्हें लगाकर फुल साउंड में म्यूजिक सुनने से होता है। इससे कान की अतिसंवेदनशील मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है।
डीजे साउंड, तेज हॉर्न भी जिम्मेदार
एक्सपट्र्स के अनुसार कानों की श्रवण क्षमता को प्रभावित करने में बहुत हद तक डीजे साउंड, रोड पर वाहनों के तेज हॉर्न भी जिम्मेदार हैं। हर व्यक्ति की सुनने और आवाजों को झेलने की अपनी एक क्षमता होती है, लेकिन बढ़ते शोर से उनकी इस क्षमता का भी ह्रास हो रहा है।
इंफेक्शन के मामलों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी
कान के इंफेक्शन को लेकर भी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। इनके लिए बार बार यूज होने वाले मोबाइल, ईयरफोन, ईयरबड्स, हैडफोन जैसे गैजेट्स जिम्मेदार हैं। कान में लगाने से पहले ये हाथों के संपर्क में या फिर कहीं पड़े रहते हैं। जिससे इनमें हानिकारक बैक्टीरिया लग जाते हैं, जो कान में पहुंचकर उसे नुकसान पहुंचाते हैं। कई बार तो ये कान के पर्दे में छेद तक कर देते हैं।
एक्सीडेंट और मौतों के लिए भी जिम्मेदार हैं गैजेट्स
जानकारी के अनुसार देश में होने वाले रोड एक्सीडेंट्स और उनमें होने वाली मौतों के लिए मोबाइल के गैजेट्स का सबसे बड़ा हाथ है। वाहन चलाते समय अधिकतर लोग ईयरफोन लगाकर तेज साउंड में बात करते हुए चलते हैं। जिससे उन्हें आसपास का न तो शोर सुनाई देता है और न ही वाहनों के हॉर्न, जिससे वे सडक़ दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।
लाइफस्टाइल बदलने की जरूरत
हर मोबाइल यूजर को लाइफस्टाइल बदलने की जरूरत है। खासकर युवाओं को चाहिए कि वे तेज आवाज में ईयरफोन, ईयरबड्स, हैडफोन, डीजे आदि न सुनें। मध्यम आवाज में साउंड सुनने से कानों की सेहत पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। इन दिनों युवाओं में सुनने की क्षमता कम होने के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। जिसकी मुख्य वजह तेज सुनने की आदत है। इसके अलावा इंफेक्शन के चलते कई लोगों के कान के पर्दे पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, कान बहने और दर्द की समस्या भी होती है।