जबलपुर

एमपी में एक पेंटर बन बैठा डॉक्टर, मरीज की मौत के बाद खुला राज

Fake Doctor Jabalpur: दमोह के बाद जबलपुर में सामने आया हैरान कर देने वाला, एमपी का एक और फर्जी डॉक्टर, शहर के मार्बल सिटी अस्पताल में एक महिला मरीज की मौत के बाद हुआ खुलासा....

2 min read
May 23, 2025
Fake Doctor Jabalpur

Fake Doctor Jabalpur: दमोह से मिलता-जुलता डॉक्टर के फर्जीवाड़े का एक मामला जबलपुर के मार्बल सिटी अस्पताल में सामने आया है। ओमती थाना में दर्ज एफआइआर के अनुसार अस्पताल में लगे डॉक्टर्स बोर्ड में जिस व्यक्ति का नाम लिखा था, असल में वह पेंटर निकला। बोर्ड में फोटो भी किसी और की थी। एक महिला की उपचार के दौरान मौत होने पर अस्पताल की यह करतूत सामने आई। महिला के बेटे को आखिरी तक यह भी नहीं पता चला कि इलाज कौन कर रहा था? ओमती पुलिस ने जांच के बाद डय़ूटी चार्ट में लिखे कथित डॉक्टर के नाम के आधार पर एफआइआर दर्ज की है।

मेडिकल रिपोर्ट से पकड़ में आया

ओमती थाना प्रभारी राजपाल सिंह बघेल के अनुसार, रेलवे सौरभ ऑफीसर्स कॉलोनी निवासी मनोज कुमार महावर ने दर्ज एफआइआर में बताया कि मां शाति देवी को 1 सितबर 2024 को भंवरताल गार्डन के पास मार्बल सिटी अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां 2 सितंबर को उनकी मौत हो गई। मनोज का दावा है कि मेडिकल रिकॉर्ड देखा, तो उसमें लिखा था कि 1 सितंबर की रात 11 बजे, रात एक बजे और तडक़े साढ़े चार बजे तक डॉ. बृजराज सिंह उईके आइसीयू में थे। उन्होंने उनकी मां के स्वास्थ्य की जांच की। लेकिन, मनोज उस वक्त भौचक रह गए, जब रिपोर्ट में पढ़ा कि डॉ. उईके ने उनकी मां को वेंटीलेटर पर रखने की अनुमति मनोज से मांगी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। मनोज के अनुसार डॉक्टर ने उनसे कोई बातचीत नहीं की थी।

कोई है ही नहीं

मनोज ने संदेह होने पर डॉ. उईके से मिलवाने की बात अस्पताल प्रबंधन से कही। लेकिन, प्रबंधन ने बात टाल दी। जानकारी जुटाई तो पता चला कि अस्पताल में डॉ. बृजराज उईके कोई है ही नहीं। मनोज ने अपने स्तर पर डॉ. बृजराज नाम के व्यक्ति को खोज निकाला। उसके पास पहुंचे, तो पता चला वह असल में पेंटर है। उसे अस्पताल के डॉक्टर्स बोर्ड में लगी तस्वीर दिखाई, तो पता चला कि वह तस्वीर उसके दोस्त सतेंद्र की है, जो उसके साथ पढ़ता था।

काल्पनिक डॉक्टर

एफआइआर में उस कथित डॉ ब्रजराज उईके को आरोपी बनाया गया है, जो दावे के अनुसार काल्पनिक है। शिकायत भी जनवरी 2025 में की गई थी, लेकिन 5 महीने बाद भी पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ी और पूरी एफआइआर पहेली बन गई है। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ संजय नागराज ने बताया, एफआइआर की जानकारी नहीं है, न ही उनके यहां डॉ ब्रजराज नाम का कोई व्यक्ति काम करता है। बोर्ड पर नाम को उन्होंने काल्पनिक बताया। इसके बाद मनोज ने फिर से अस्पताल में संपर्क किया और डॉ. बृजराज उईके से मिलाने के लिए कहा। अस्पताल प्रबंधन ने फिर मिलाने से इनकार कर दिया।


Updated on:
07 Jun 2025 05:18 pm
Published on:
23 May 2025 09:13 am
Also Read
View All

अगली खबर