विशेषज्ञों के अनुसार मेडिकल अस्पताल में आने वाले नेत्र रोग के मरीजों में 95 प्रतिशत मरीज आंख के इरीटेशन से पीडि़त हैं। वहीं आंखों का पानी सूख जाने की समस्या से पीडि़त मरीजों की संख्या 70 फीसदी से भी ज्यादा है। इन मामलों में इलाज में देर होने पर कई बार तो मरीज की आंखों की रोशनी भी चली जा रही है।
health tips for eye care: आंख में लालिमा, लगातार पानी आना, दर्द होना या फिर सूखापन से परेशान रहना, ऐसे लक्षणों के मरीज मेडिकल अस्पताल, जिला अस्पताल से लेकर नगर के अन्य अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इनमें आंखों के इरीटेशन से पीडि़त मरीज व ड्राईनेस की समस्या से पीडि़त मरीज शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मेडिकल अस्पताल में आने वाले नेत्र रोग के मरीजों में 95 प्रतिशत मरीज आंख के इरीटेशन से पीडि़त हैं। वहीं आंखों का पानी सूख जाने की समस्या से पीडि़त मरीजों की संख्या 70 फीसदी से भी ज्यादा है। इन मामलों में इलाज में देर होने पर कई बार तो मरीज की आंखों की रोशनी भी चली जा रही है। इसके बावजूद लोगों में आंख को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों को लेकर जागरूकता की कमी है। ज्यादातर टू वीलर सवार चश्मा, हेलमेट का उपयोग नहीं करते, ऐसे में धूल व हवा के सीधे संपर्क में आने पर आंखों में रुखापन की समस्या शुरू हो जाती है।
मेडिकल अस्पताल नेत्र रोग विभाग-
-80 से 100 मरीज आते हैं ओपीडी में
-95 प्रतिशत मरीजों की आंखों में इरीटेशन की समस्या
-70 प्रतिशत से अधिक मरीज ड्राईनेस से पीडि़त
-प्रदूषण धूल के संपर्क में रहना
-खान-पान में पोषक तत्वों की कमी, केमिकल की बढ़ती मात्रा
-मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना
-मोतियाबिंद और काचिंयाबिंद और धुंधलेपन की अनदेखी
-जलन या खुजली
-लालिमा
-पानी आना
-धुंधला दिखाई देना
-आंखों में दर्द
आंखों में इरिटेशन का इलाज-
-आंखों को ठंडे पानी से धोना
-उपयुक्त ड्रॉप्स का उपयोग
-एलर्जी के लिए एंटीहिस्टामाइन
-संक्रमण के लिए एंटीबायोटिक
-आंखों की थकान के लिए आराम
-आंखों में सूखापन
-जलन या खुजली
-लालिमा
-धुंधला दिखाई देना
-आंखों में दर्द
-आंखों को नियमित रूप से धोएं
-आंखों के लिए उपयुक्त ड्रॉप्स का उपयोग करें
-पर्याप्त पानी पिएं
-विटामिन ए और ओमेगा-3 की खुराक लें
-कंप्यूटर या मोबाइल का उपयोग करते समय ब्रेक लें
-धूल से बचें
-आर्टिफिशियल टियर्स
-ल्यूब्रिकेटिंग ड्रॉप्स
-प्रेसेर्वेटिव-फ्री ड्रॉप्स
नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल पर स्क्रीन टाइम बढ़ने का भी आंखों को बड़ा नुकसान हो रहा है। बच्चों से लेकर हर उम्र वर्ग के वे लोग जिन्हें पॉवर वाला चश्मा लग चुका है पर वे चश्मा नहीं लगाते और मोबाइल की स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिता रहे हैं उनकी आंखों को स्मार्ट फोन की ब्लू लाइट सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है।
मेडिकल अस्पताल में आ रहे नेत्र रोग के मामलों में 70 प्रतिशत मामले आंखों में ड्राईनेस के हैं वहीं 90 प्रतिशत केस इरीटेशन के हैं। आंखों की देखभाल को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। गंदे हाथ आंख में लगा लेना, धूल-कचरा के बीच आंखों को बचाने के लिए चश्मा, हेलमेट का उपयोग न करना जैसे कारण शामिल हैं। इसके अलावा भोजन में पोषक तत्वों की कमी और आहार का केमिकल का ज्यादा उपयोग भी प्रमुख कारण है।