Poisonous Snakes Bite: सरिसृप संरक्षण एवं अनुसंधान केंद्र ने खोला सांपों की रहस्यमयी दुनिया का राज, बताई जहरीले सांपों की पहचान, जानें अगर काट ले सांप तो क्या करें क्या नहीं...
Poisonous Snakes Bite: सरिसृप संरक्षण एवं अनुसंधान केंद्र में सात दिनों से चल रहे जागरूकता, सुरक्षा व प्रबंधन कार्यक्रम का समापन हो गया। इसमें महिदपुर, बड़नगर, आगर, खाचरौद, नागदा सहित जिले की तहसीलों से आए 350 से अधिक मेडिकल ऑफिसर्स ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में सांपों की प्रजातियों की पहचान, सर्पदंश की स्थिति में प्राथमिक उपचार व बचाव के उपाय बताए गए।
संस्थान प्रमुख डॉ. मुकेश इंगले ने बताया सांप कृषि प्रधान देश के लिए वरदान हैं। चूहे खाद्यान्न का लगभग पांचवां हिस्सा नष्ट कर देते हैं; यदि सांप न हों तो यह नुकसान तीन गुना बढ़ सकता है। आकार, गति और बिलों में घुसने की क्षमता के कारण वे सबसे प्रभावी प्राकृतिक चूहा नियंत्रक माने जाते हैं। सांप कृषि ही नहीं, चिकित्सा व शोध के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उनका विष जीवनरक्षक एंटीवेनम बनाने, जैव-रासायनिक शोध व दवाओं के विकास में उपयोग होता है। पारिस्थितिक तंत्र में भी वे आहार शृंखला का अहम हिस्सा हैं।
1- आसपास का क्षेत्र साफ रखें, दीवारों के छेद बंद करें।
2- पानी की निकासी पर जालियां लगाएं।
3- लकड़ी, पत्थर, कचरा या सामग्री का ढेर न लगाएं।
4- खिड़कियों-दरवाजों के पास पौधे या गमले न रखें।
5- जमीन पर सोने से बचें चारपाई पर सोएं।
6.- जूते पहनें, लाठी से आवाज करते चलें।
7- झाड़ियों या लकड़ी के में हाथ-पैर न डालें। अंधेरे में टॉर्च/लालटेन प्रयोग करें। छूने या पकड़ने से बचें।
जिस व्यक्ति को सांप ने काटा है (Snake Bites) उस रोगी को शांत रखें, हिलने-डुलने से बचाएं। घबराने की कोई जरूरत नहीं। घबराने से जहर तेजी से शरीर में फैलता है। इसलिए घबराने के बजाय सावधान रहें। ध्यान दें कि जिस अंग पर सांप ने काटा है, उस अंग को लकड़ी की स्केल से स्थिर कर हल्के बैंडेज से बांधें। अंग को कसकर न बांधें। तुरंत अस्पताल पहुंचाएं और संभव हो तो सांप की पहचान जरूर बताएं। ताकि सही समय पर सही इलाज मिल सके।
तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक में समय न गंवाएं। घाव को न काटें, न छीले, न विष चूसने का प्रयास करें। रोगी को शारीरिक श्रम या नींद में न डालें।
करैत: काला/नीला-काला, 40 सफेद आड़ी रेखाएं, रात में सक्रिय।
नाग: चौड़ा फन, तेज फुंकार, 1-2 मीटर लंबा।
रसल वाइपर: त्रिभुजाकार सिर, भूरे-पीले रंग पर काले छल्ले।
सॉ-स्केल्ड वाइपर: हीरे जैसी धारियां, छोटा आकार, फुंकार; क्षेत्र में 1त्न से भी कम पाया जाता है।
शकरखेड़ी की एएनएम ज्योति गोयल ने कहा, हर सांप जहरीला नहीं होता, यह जानकारी अब स्पष्ट हुई। आक्यालिंबा की सीएचओ सोनू नागर के अनुसार, फर्स्ट एड से लेकर अस्पताल तक का प्रबंधन स्पष्ट हुआ। भादवा के सीएचओ रिंकू गेहलोद ने कहा कई भ्रम दूर हुए। इटावा की एएनएम दिव्या वाडिया ने कहा, जानकारी के अभाव में इलाज में कठिनाई होती थी; अब मरीज को निश्चिंत कर सकेंगे।
विशेषज्ञों ने दोहराया सांपों को मारने की बजाय सुरक्षित रहना और महत्त्व को समझना ही पर्यावरणीय संतुलन की कुंजी है। डॉ. इंगले ने बताया कि अगली कार्ययोजना के तहत 6000 विद्यार्थियों को संस्थान लाकर प्रशिक्षित करेंगे।