MP News: आम नागरिक को खसरा, नामांतरण पंजीकरण और अन्य जरूरी दस्तावेज घर बैठे एक क्लिक पर मिल सकेंगे।
MP News: अब जमीन से जुड़े कागजों लगाने की मजबूरी खत्म होने वाली के लिए बार-बार तहसील के चक्कर है। जिले में करीब 40 साल पुराने राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटल किया जा रहा है, ताकि आम नागरिक को खसरा, नामांतरण पंजी और अन्य जरूरी दस्तावेज घर बैठे एक क्लिक पर मिल सकें। अब तक 11 लाख पन्नों में से लगभग 6 लाख पन्ने ऑनलाइन किए जा चुके है।
स्कैनिंग की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हर दस्तावेज की 5 प्रतिशत रैंडम जांच की जा रही है। यह जांच पटवारी कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरह की गलती आम नागरिक को परेशानी न दे। अब हर दस्तावेज पर क्यूआर कोड रहेगा। इससे रिकॉर्ड को खोजना, पहचानना और सत्यापन करना आसान हो जाएगा। यानी किसी भी जमीन से जुड़ा कागज अब कुछ सेकंड में मोबाइल स्क्रीन पर देखा जा सकेगा।
शहर की 3 और ग्रामीण क्षेत्र की 7 तहसीलों के दस्तावेज कलेक्टर कार्यालय के आयुष भवन में स्कैन किए जा रहे हैं। पहले ये कागज तहसीलों के रिकॉर्ड रूम में रखे रहते खतरा बना रहता था। थे, जहां इनके खराब या नष्ट होने का खतरा बना रहता है।
-तहसील और पटवारी के चक्कर कम होंगे, समय और पैसे की बचत
-जमीन से जुड़े विवादों में रिकॉर्ड तुरंत उपलब्ध
-दस्तावेज सुरक्षित और पारदर्शी
खसरा/ बी-1
नामांतरण पंजी
अधिकार अभिलेख
मिसल बंदोबस्त
विस्तार पत्रक समेत अन्य।
पुराने राजस्व दस्तावेजों की स्कैनिंग का कार्य तेजी से किया जा रहा है। अब तक 6 लाख से अधिक पन्नों को डिजिटल किया जा चुका है। प्रक्रिया पूरी होने पर आम नागरिकों को खसरा, नामांतरण पंजी सहित अन्य राजस्व दस्तावेज एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे। - महेंद्र श्रीवास्तव, टैग जीआईएस प्रभारी
यह काम भू-अभिलेख कार्यालय के वेब-जीआईएस विभाग द्वारा कराया जा रहा है। वर्ष 1985 से 2004 तक के दस्तावेज स्कैन किए जा रहे हैं। ये वही रिकॉर्ड हैं, जिनके लिए लोगों को अब तक तहसील, पटवारी और
रिकॉर्ड रूम के चक्कर काटने पड़ते थे।
कई दस्तावेज पुराने होने के कारण वे फट गए हैं या खराब हालत में हैं। स्कैनिंग से पहले इन्हें ठीक किया जा रहा है। फटे पन्नों को शीट पर चिपकाकर सुरक्षित किय जा रहा है। इसके बाद इन्हें डिजिटल रूप दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में ये रिकॉर्ड सुरक्षित रहें।
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