Minor Missing Case : गुमशुदा नाबालिक के नाना द्वारा लगाई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को संयुक्त टीम बनाकर नाबालिग को एक सप्ताह में तलाशने के निर्देश दिए।
Minor Missing Case : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बीते करीब साढ़े तीन माह से लापता नाबालिग को एक हफ्ते के अंदर ढूंढने के निर्देश दिए हैं। ये निर्देश मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालयों को दिए गए हैं। दरअसल, जबलपुर के ही रांझी इलाके में रहने वाले एक ऑटो चालक ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई है। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक जैन और विवेक अग्रवाल की बेंच ने इस याचिका सुनवाई की, जिसके बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को एक संयुक्त टीम बनाकर नाबालिग को तलाशने के निर्देश दिए हैं।
शहर के रांझी थाना इलाके के मोहनिया इलाके में रहने वाले पैशे से मुकेश श्रीपाल जो कि ऑटो चलाते हैं, उन्होंने अपने नाबालिक नाती की गुमशुदा होने की FIR उत्तर प्रदेश और जबलपुर में दर्ज करवाई थी, लेकिन 3 महीने बाद ही नाबालिक नाती का कोई सुराग न मिलने पर पीड़ित ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक हफ्ते में नाबालिक को ढूंढने के निर्देश दिए हैं।
मुकेश श्रीपाल के पड़ोसी शिवकुमार गुप्ता की बेटी की शादी उत्तर प्रदेश झांसी में हुई थी। तभी पड़ोसी शिवकुमार गुप्ता ने याचिकाकर्ता मुकेश श्रीपाल से कहा था कि वो उनके नाती को मैकेनिक का काम सीखने के लिए झांसी भेज सकते हैं। पड़ोसी की बातों में आकर पीड़ित मुकेश श्रीपाल ने अपने नाती के भविष्य में हुनर सीख जाने के उद्देश्य से झांसी पहुंचा दिया।
दिवाली से झांसी गए उनके नाती की फरवरी तक उनसे बातचीत होती रही, लेकिन 15 फरवरी से उनका अपने नाती से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। पीड़ित परिवार झांसी भी गया, लेकिन उन्हें जिस जगह पर नाती के रहने की जानकारी थी, वहां उनका नाती रहता ही नहीं। इस के बाद वो झांसी में ही अपने नाती की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा चुके हैं।