MP High Court: राजधानी में 488 नहीं, 8 हजार पेड़ काटे, एमपी हाईकोर्ट ने 7 अफसरों को किया तलब...
MP High Court: राजधानी भोपाल में पेड़ों की कटाई के मामले में नया तथ्य उजागर हुआ है। शहर में 488 नहीं, बल्कि 8 हजार पेड़ों की कटाई की गई। यह दावा करते हुए पेश किए गए दस्तावेज व तस्वीरों को देखकर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने दो टूक निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट की अनुमति के बिना भोपाल में एक भी पेड़ की कटाई नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने 7 अफसरों को तलब करते हुए व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। इनमें पीडब्ल्यूडी, विधानसभा सचिवालय, वन और रेलवे के अफसर शामिल हैं। अगली सुनवाई 26 नवंबर को हागी। कोर्ट ने भोपाल के पास भोजपुर-बैरसिया रेलवे प्रोजेक्ट के तहत रोड निर्माण के लिए 488 पेड़ों की कटाई के समाचार पर संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है। सुनवाई में सामने आया कि मामला 488 नहीं, 8000 से अधिक पेड़ों की कटाई का है।
कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए पेड़ों की कटाई और ट्रांसप्लांट करने पर रोक लगा दी। यह रोक किसी भी विभाग, प्रोजेक्ट या सरकारी अनुमति पर प्राथमिकता से लागू होगी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण कानून की अवहेलना को आड़े हाथों लेते हुए तल्ख टिप्पणी में कहा कि अब फाइलों से नहीं बल्कि अधिकारियों कोर्ट में बुलाकर वस्तुस्थिति जानी जाएगी। ट्रासप्लांट पेड़ों की फोटो भी देखी जाएगी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट याचिका में भोपाल के नितिन सक्सेना से हस्ताक्षेपकर्ता बनने के आवेदन को स्वीकार कर अपने आवेदन में कहा था, तस्वीरों से साफ है कि कोई पेड़ ट्रांसप्लांट नहीं किया। पेड़ों को काटा, उसके तने जमीन में गड़े हुए हैं। कुछ में अंकुर निकलने लगे हैं। कोर्ट ने ट्रांसप्लांट किए पेडों की जीपीएस के साथ सैटेलाइट फोटो तलब की। हस्ताक्षेपकर्ता ने बताया, भोपालमें मंत्री-विधायकों के आवासीय कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए 244 और पेड़ काटने की मांग की है। शिफ्टिंग की आड़ में पेड़ काटने का नया तरीका अपनाया है। शिफ्टिंग में अनुमति की जरूरत नहीं होती।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्रदेश में कोई ट्री-ट्रांसप्लांटेशन पालिसी लागू नहीं है। फोटोग्राफ से पता चलता है कि ट्रांसप्लांटेशन का तरीका पेड़ की सभी टहनियों और पत्तियों को पूरी तरह से हटाना और पेड़ के तने को दूसरी जगह लगाना था। कोर्ट ने कहा कि विधानसभा बिल्डिंग कंट्रोलर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव को 30 अक्टूबर, 2025 को कम्युनिकेशन कर बताया गया था कि रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स के कंस्ट्रक्शन के कारण, कई पेड़ रास्ते में आ रहे हैं और उन्हें हटाना पड़ रहा है। जिसके कारण बड़ी संख्या में टहनियों को काटा जा रहा है और भारी मात्रा में लकड़ी इकट्ठा की जा रही है।
कंस्ट्रक्शन के रास्ते में आ रहे पेड़ों से काटी गई इन टहनियों और लकड़ी का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया गया है। जिससे स्पष्ट है कि किसी भी तरह से किसी पेड़ को बचाने या ट्रांसप्लांट करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। जहां तक ट्रांसप्लांटेशन का सवाल है, परिवहन के दौरान उनके जीवित रहने की संभावना नहीं है।