OBC: मध्यप्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत के फैसले को लेकर नहीं दिखाई गंभीरता, मांगा समय, सुप्रीम कोर्ट का कड़ रुख....
OBC: मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के मामले की सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस दौरान राज्य शासन की ओर से तैयारी के लिए समय दिए जाने का निवेदन किया गया। कोर्ट ने मांग स्वीकार करते हुए प्रकरण की अंतिम सुनवाई नवंबर के दूसरे सप्ताह में नियत कर दी। ओबीसी के होल्ड अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व अन्य उपस्थित हुए।
उन्होंने विगत सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कड़े रुख व ऑब्जरवेशन के बावजूद तैयारी के नाम पर समय मांगे जाने का विरोध किया। राज्य शासन की ओर से अंतरिम स्थगनादेश को समाप्त करने पर बल न दिए जाने पर भी आपत्ति दर्ज कराई। वरिष्ठ अधिवक्ता ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बात को सरकार ने गंभीरता से न लेकर अंतिम सुनवाई के लिए समय ले लिया। शासन की ओर से अटार्नी जनरल सालिसिटर जनरल ने तैयारी के लिए समय मांगा।
हाईकोर्ट (High Court) ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में भर्ती से जुड़े एक मामले में कहा है कि अन्य पिछड़ा वर्ग का एक सर्जन का पद रिक्त रखें। जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की सिंगल बेंच ने मप्र लोक सेवा आयोग के चेयरमैन, आयुक्त लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, रजिस्ट्रार मप्र मेडिकल काउंसिल व अन्य से जवाब तलब किया है। याची जबलपुर के डॉ. गगन सोनी की ओर से दलील दी गई कि 2024 में सरकार ने सर्जन के पद पर भर्ती निकाली थी। 64 पद ओबीसी (OBC) के लिए आरक्षित थे। 21 अगस्त 2025 को चयन सूची से उनका नाम हटा दिया गया।