गुजरात, मुंबई और दिल्ली से गारमेंट निर्माण के लिए आने वाले कपड़ों का अच्छा ज्ञान है। पार्क में जो भी कपड़ा निर्माण इकाइयां लगाई जाएंगी, उन्हें इन कारीगरों के अनुभव का लाभ मिलेगा।
Textile park : टेक्सटाइल पार्क के लिए जबलपुर में संसाधनों की कमी नहीं है। इसका निर्माण होने से यहां के दक्ष कारीगरों को रोजगार के नए अवसर मिल सकेंगे। वह वर्षों से इस काम में शामिल हैं। उन्हें गुजरात, मुंबई और दिल्ली से गारमेंट निर्माण के लिए आने वाले कपड़ों का अच्छा ज्ञान है। पार्क में जो भी कपड़ा निर्माण इकाइयां लगाई जाएंगी, उन्हें इन कारीगरों के अनुभव का लाभ मिलेगा।
Textile park : जिले में शहपुरा के पास इस प्रोजेक्ट के लिए जमीन चिन्हित की जा चुकी है। अब औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग को 226 हेक्टेयर जमीन का आवंटन होना है। इस इंडस्ट्री के लिए तीन से चार बड़ी जरुरत होती हैं। पहली दक्ष मानव संसाधन। इसकी कमी नहीं है। जब कुदवारी में टेक्सटाइल इंडस्ट्री की स्थापना का प्रस्ताव आया था तब संबंधित कंपनी ने सर्वे कराया था तो उसे 5 हजार दक्ष कारीगर मिले थे।
पानी की जिले में कमी नहीं है। इसका सबसे बड़ा स्रोत नर्मदा नदी है। आधे से ज्यादा शहर को यहीं से पानी की सप्लाई होती है। टेक्सटाइल पार्क में पानी की बड़ी आवश्यकता होती है। जहां भूमि चिन्हित है, वहां से नर्मदा नदी की दूरी बहुत नहीं है। जबलपुर-भोपाल राजमार्ग से लगे होने के कारण परिवहन सुविधा भी है।
जबलपुर में टेक्सटाइल पार्क खोलने को लेकर महाकोशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की तरफ से पहल की जाएगी। चेम्बर के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने कहा कि यहां हैंडलूम चल रहे थे। फिर वे पावरलूम में तब्दील हो गए हैं। यहां बने कपड़ों की मांग प्रदेशभर में रहती है। अब इसका वृहद रूप टेक्सटाइल पार्क है। इस संबंध में पुन: चर्चा की जाएगी ताकि यह प्रोजेक्ट जल्दी स्थापित हो सके।