जगदलपुर

किसानों के लिए अलग से बजट पेश करने की मांग, ICFA की बैठक में डॉ. राजाराम ने किया बस्तर का प्रतिनिधित्व

CG News: बैठक में बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों, किसानों की समस्याओं और आवश्यक सुधारों पर विस्तार से चर्चा हुई।

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CG News: नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, में इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर आईसीएफए द्वारा पोस्ट यूनियन बजट-2025 पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक की अध्यक्षता चेंबर के डायरेक्टर जनरल डॉ. तरुण श्रीधर (पूर्व सचिव, पशुधन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार) ने की, जबकि संचालन चेंबर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रेयसी अग्रवाल ने किया।

CG News: सरकार को ठोस कदम उठाने की मांग

गौरतलब है कि पिछले दिसंबर में कृषि तथा कृषि संबद्ध उद्योगों की देश के शीर्ष संस्थान ’इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर’ की कार्यकारिणी के पुनर्गठन के दौरान सुरेश प्रभु जो कि भारत-सरकार के लगभग 10 विभागों कैबिनेट-मंत्री रहे हैं ने इसकी कमान संभाली है तथा कृषि क्षेत्र से ’अखिल भारतीय किसान महासंघ’ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक, किसान वैज्ञानिक डॉ. राजाराम त्रिपाठी को चेंबर का सदस्य बनाया गया था। यह उनकी पहली आधिकारिक बैठक थी।

बैठक में बजट 2025-26 में कृषि क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों, किसानों की समस्याओं और आवश्यक सुधारों पर विस्तार से चर्चा हुई। डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने यहां किसानों का पक्ष रखा और कृषि बजट, एमएसपी गारंटी कानून, जैविक खेती, किसान क्रेडिट और कृषि अनुसंधान जैसे अहम मुद्दों पर सरकार को ठोस कदम उठाने की मांग की।

खेती के लिए अलग बजट जरूरी की रखी मांग

CG News: डॉ. त्रिपाठी ने कहा, जब रेलवे के लिए अलग बजट हो सकता है, तो कृषि के लिए क्यों नहीं? 61% आबादी की आजीविका खेती पर निर्भर है और 1.5 अरब लोगों को भोजन उपलब्ध कराने वाले इस सेक्टर का बजट हर साल महंगाई के मुकाबले घटता जा रहा है। उन्होंने बताया कि 2023-24 में कृषि बजट 1.25 लाख करोड़ था, जिसे 2024-25 में बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ किया गया। अब 2025-26 में इसे केवल 1.75 लाख करोड़ किया गया है, यानी महंगाई और मुद्रास्फीति को देखते हुए यह बजट बढ़ोतरी नहीं बल्कि व्यवहारिक कटौती है।

● कृषि के लिए अलग बजट का हो प्रावधान।

● कृषि नवाचारों और किसान वैज्ञानिकों के लिए अलग फंड मिले।

● आधुनिक तकनीकों और नवाचारी किसानों को बढ़ावा देने के लिए बजट में अलग राशि तय हो।

● केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) को मजबूत किया जाए।

जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए: जैविक उत्पादों की प्रमाणन प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और किसान-हितैषी हो।

● एपीडा की ट्रेसनेट प्रणाली की जटिलताओं को कम किया जाए।

● छोटे, मझोले और बड़े किसानों में भेदभाव किए बिना सभी को अनुदान मिले ।

Published on:
07 Feb 2025 01:33 pm
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