Naxal operation: नक्सलियों के सफाए के लिए ग्रेहाउंड्स जैसी फोर्स बनाई गई थी उसी तेलंगाना में अब जिम्मेदार पीस टॉक की पैरवी कर रहे हैं।
Naxal operation: जिस तेलंगाना में कभी नक्सलियों के सफाए के लिए ग्रेहाउंड्स जैसी फोर्स बनाई गई थी उसी तेलंगाना में अब जिम्मेदार पीस टॉक की पैरवी कर रहे हैं। वहां नक्सलियों के लिए नरमी का दौर जारी है तो वहीं छत्तीसगढ़ में सख्त प्रहार के अलावा कोई बात नहीं हो रही है। यहां की सरकार सिर्फ सफाए पर काम कर रही है तो वहीं तेलंगाना की कांग्रेस सरकार में नक्सलियों को बात रखने का अवसर देने की वकालत की जा रही है।
सरकार और विपक्ष भी कर रही वकालत
बसव राजू का शव नहीं देने को लेकर भी आक्रोश
तेलंगाना से लेकर आंध्रप्रदेश तक में बसव राजू के शव को परिजनों को नहीं देने और शव का अंतिम संस्कार फोर्स के हाथों करने को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शव का अंतिम संस्कार सोमवार को नारायणपुर में किया गया था और मंगलवार को तेलंगाना और आंध्र के कई शहरों में इसे लेकर प्रदर्शन हुए। कहा गया कि छत्तीसगढ़ में सरकार मानवाधिकार का भी हनन कर रही है।
दोनों राज्यों में अलग-अलग सरकारों की वजह दिक्कत
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अलग-अलग सरकारें हैं। वहां कांग्रेस तो यहां भाजपा सत्ता में है। यही कारण है कि केंद्र सरकार के एंटी नक्सल ऑपरेशन को छत्तीसगढ़ में तो पूरा सहयोग मिल रहा है लेकिन तेलंगाना में ऐसा नहीं हो पा रहा है।
छत्तीसगढ़ के मानवाधिकार कार्यकर्ता वहां पीस कमेटी में
तेलंगाना में शांतिवार्ता के लिए जो मुहिम जारी है और जो शांति समन्वय समिति बनाई गई है उसमें छत्तीसगढ़ के मानवाधिकार कार्यकर्ता भी शामिल हैं। नारायणपुर में बसव राजू की बॉडी लेने के लिए जो मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे वही मानवाधिकार कार्यकर्ता वहां पीस टॉक करते नजर आ रहे हैं। हैदराबाद में लगातार हो रही बैठकों में वे शामिल हो रहे हैं।