रामगढ़ बांध से जुड़ी उच्च न्यायालय की कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि अतिक्रमण के लिए सरकारी विभाग भी बराबर के दोषी हैं।
जयपुर समेत प्रदेश के कई हिस्सों में झमाझम बारिश के बाद अब तक 181 बांध भर चुके हैं। कई बांधों में तेजी से पानी की आवक हो रही है, लेकिन जयपुर के रामगढ़ बांध में पानी की आवक ही नहीं हो रही है। बहाव क्षेत्र के कुछ हिस्सों में बारिश का पानी पहुंचता है, लेकिन बीच में अतिक्रमण और दीवार आगे नहीं जाने दे रही। रसूखदारों के फार्म हाउस व रिजॉर्टस भी आड़े आ रहे हैं, जिन्हें हटाने की हिम्मत आज तक प्रशासन नहीं जुटा पाया है। यहां तक की कई जगहों पर बांध से जुड़े प्राकृतिक नालों पर सरकारी विभागों ने एनिकट, चेकडैम और सड़क निर्माण तक कर दिया।
गोडियाणा. अवैध खनन से बन्द नाले का बहाव (फोटो: पत्रिका)
रामगढ़ बांध क्षेत्र - 354 मिमी
विराटनगर तहसील - 336 मिमी
जमवारामगढ़ तहसील - 275 मिमी
मारू की ढाणी ताला - 229 मिमी
सांगावाला - 224 मिमी
चांदावास - 252 मिमी
चेचाला - 124 मिमी
रामगढ़ बांध को भरने वाली मुख्य बाण गंगा नदी के अलावा अमरसर की पहाड़ियों से निकलने वाली माधोवेणी नदी भी है। जैतपुर की पहाड़ियों से निकलने वाली गोमती नदी व चिताणु की पहाड़ियों से निकलने वाले नाले तक में 30 से अधिक छोटे व बड़े चेकडैम व एनीकट बने हुए हैं।
बाण गंगा नदी के उदगम स्थल दोलाज की पहाड़ियों में पानी का बहाव रोक दिया गया।
चिताणु की पहाड़ी के नीचे व रोड़ा नदी के उदगम स्थल पर बड़ा बांध बना हुआ है।
बाण गंगा नदी में भोजपुरा, लाडीपुरा व धौला में 12 से अधिक एनीकट व चेकडैम बना दिए।
माधोवेणी नदी में कंवरपुरा के पास जेडीए ने सड़क बना दी।
कंवरपुरा. माधोवेणी नदी में जेडीए ने बनाई सड़क (फोटो: पत्रिका)
रामगढ़ बांध से जुड़ी उच्च न्यायालय की कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि अतिक्रमण के लिए सरकारी विभाग भी बराबर के दोषी हैं। उधर, जेडीए, जल संसाधन विभाग, जिला प्रशासन, राजस्व विभाग अतिक्रमण चिह्नित करने और हटाने को लेकर दौरा करते हैं, लेकिन हर बार खानापूर्ति होती रही है।