जयपुर

हाईकोर्ट के फैसले के बाद RPSC पर संकट! मंजू शर्मा के बाद कौन दे सकता है इस्तीफा? इस वजह से बढ़ा दबाव

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा 2021 की SI भर्ती परीक्षा को रद्द करने के फैसले ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में भी हलचल मचा दी है।

4 min read
Sep 02, 2025
पत्रिका फाइल फोटो

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा 2021 की SI भर्ती परीक्षा को रद्द करने के फैसले ने राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में भी हलचल मचा दी है। कोर्ट की टिप्पणियों ने आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इनसे आहत होकर आयोग की सदस्य डॉ मंजू शर्मा ने इस्तीफा दे दिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या अन्य सदस्य, खासकर संगीता आर्य भी अपने पद से इस्तीफा देंगी?

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में RPSC के पूर्व अध्यक्षों और सदस्यों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए, जिसके बाद आयोग पर दबाव बढ़ गया है।

ये भी पढ़ें

MLA रविन्द्र सिंह भाटी ने वासुदेव देवनानी को क्यों लिखा पत्र? इस विषय पर विधानसभा में विशेष चर्चा की उठाई मांग

हाईकोर्ट की टिप्पणी- 'घर के भेदी लंका ढाए'

दरअसल, 28 अगस्त 2025 को जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने SI भर्ती 2021 को रद्द करते हुए कहा कि इस भर्ती का पेपर पूरे प्रदेश में लीक हुआ था। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में मुहावरा 'घर का भेदी लंका ढाए' इस्तेमाल करते हुए RPSC के छह सदस्यों पर व्यवस्थित रूप से भर्ती प्रक्रिया को कमजोर करने का आरोप लगाया।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आयोग के कुछ सदस्यों ने न केवल पेपर लीक में सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि कुछ को इसकी जानकारी होने के बावजूद चुप्पी साधी गई, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पवित्रता को गंभीर नुकसान पहुंचा।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में RPSC के दो पूर्व अध्यक्षों- संजय श्रोत्रिय और जसवंत राठी तथा चार सदस्यों- मंजू शर्मा, संगीता आर्य, रामूराम राईका और बाबूलाल कटारा के नामों का उल्लेख किया। कोर्ट ने इनके कार्यों को 'विश्वासघात' करार देते हुए कहा कि इन सदस्यों ने जनता के भरोसे को तोड़ा और भर्ती प्रक्रिया में व्यवस्थित भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।

मंजू शर्मा का इस्तीफा- क्या नैतिकता के चलते?

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सबसे पहले RPSC की सदस्य डॉ. मंजू शर्मा ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राज्यपाल को भेजे पत्र में लिखा कि उनके खिलाफ कोई जांच लंबित नहीं है, लेकिन आयोग की गरिमा और पारदर्शिता को सर्वोपरि मानते हुए वे नैतिक आधार पर पद छोड़ रही हैं। मंजू शर्मा ने बिना किसी दबाव के स्वेच्छा से इस्तीफा दिया। हालांकि, उनके इस्तीफे ने अन्य सदस्यों, विशेष रूप से संगीता आर्य, पर नैतिक आधार पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा दिया है।

संगीता आर्य पर क्यों उठ रहे सवाल?

संगीता आर्य वर्तमान में RPSC की सक्रिय सदस्य हैं। संगीता आर्य की राजनीतिक पृष्ठभूमि के चलते उन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है। वे 2013 में कांग्रेस के टिकट पर सोजत से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। उनके पति निरंजन आर्य राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं। इसलिए उनके पति के प्रभाव के कारण भी उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठते रहे हैं। 2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उन्हें RPSC का सदस्य नियुक्त किया था। हाईकोर्ट के फैसले में उनकी भूमिका का उल्लेख होने के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या वे भी मंजू शर्मा की तरह नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देंगी।

RPSC के अन्य सदस्यों की स्थिति

संजय श्रोत्रिय: तत्कालीन RPSC अध्यक्ष, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। कोर्ट ने उनके द्वारा साक्षात्कार बोर्ड के गठन और राईका के बच्चों को अनुचित लाभ पहुंचाने में भूमिका पर सवाल उठाए।

जसवंत राठी: पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष, जिनका निधन हो चुका है। कोर्ट ने उनके द्वारा राईका के बच्चों के साक्षात्कार में हस्तक्षेप की बात कही।

रामूराम राईका: अपने बेटे देवेश और बेटी शोभा को साक्षात्कार में पास कराने के लिए सिफारिश करने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे। हालांकि, उन्हें जमानत मिल चुकी है और उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है।

बाबूलाल कटारा: पेपर लीक मामले में गिरफ्तार और निलंबित। कोर्ट ने उनके द्वारा शोभा राईका को साक्षात्कार में अनुचित रूप से उच्च अंक देने की बात उजागर की।

मंजू शर्मा: नैतिक आधार पर इस्तीफा दे चुकी हैं।

संगीता आर्य: वर्तमान में सक्रिय सदस्य, जिन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ रहा है।

यहां देखें वीडियो-


हाईकोर्ट की 6 मेंबर पर टिप्पणियां

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में RPSC के सदस्यों पर निम्नलिखित गंभीर टिप्पणियां कीं-

जनता के भरोसे का हनन: कोर्ट ने कहा कि इन सदस्यों को जनता के हितों की रक्षा का कर्तव्य सौंपा गया था, लेकिन इन्होंने विश्वासघात किया।

परीक्षा की पवित्रता को नुकसान: RPSC ने भर्ती प्रक्रिया की शुचिता को बनाए रखने में विफलता दिखाई।

पेपर लीक में सक्रिय भूमिका: कुछ सदस्यों ने पेपर लीक में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लिया, जबकि अन्य को इसकी जानकारी थी, फिर भी उन्होंने इसे नजरअंदाज किया।

आंतरिक मिलीभगत: पेपर लीक और नकल केवल बाहरी तत्वों का काम नहीं था, बल्कि RPSC के सदस्यों की सक्रिय भागीदारी थी।

विश्वास का संकट: RPSC के कार्यों ने भर्ती प्रक्रिया और संस्थानों में जनता के विश्वास को कमजोर किया।

'घर का भेदी' मुहावरा: कोर्ट ने इस मुहावरे का इस्तेमाल कर आयोग के भीतर भ्रष्टाचार और मिलीभगत को उजागर किया।

रामूराम राईका पर लगाए मुख्य आरोप

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में रामूराम राईका की भूमिका का भी मुख्य रूप से जिक्र किया। राईका ने अपनी बेटी शोभा और बेटे देवेश को साक्षात्कार में पास कराने के लिए RPSC के तत्कालीन अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय और अन्य सदस्यों से मुलाकात की थी। राईका ने बाबूलाल कटारा को शोभा की तस्वीर दिखाई और बताया कि वह साक्षात्कार में एक विशेष पोशाक पहनेगी। कटारा ने शोभा को 50 में से 34 अंक दिए। इसी तरह, राईका ने देवेश के साक्षात्कार से पहले संजय श्रोत्रिय, मंजू शर्मा और संगीता आर्य से मुलाकात की थी। कोर्ट ने इसे भर्ती प्रक्रिया में गंभीर कदाचार माना।

ये भी पढ़ें

SI भर्ती रद्द: क्या सरकार डबल बैंच में नहीं करेगी अपील? चयनित अभ्यर्थियों ने की ये तैयारी; मंत्री ने दिया बड़ा संकेत

Updated on:
02 Sept 2025 07:31 pm
Published on:
02 Sept 2025 07:30 pm
Also Read
View All

अगली खबर