prison monitoring revolution: अब कोई गलत हरकत छिप नहीं पाएगी। कर्नाटक से छिड़ी हाई-टेक क्रांति। ट्रायल पर एआई-बेस्ड इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम।
AI prison surveillance India: जयपुर. भारत की जेलों में सुरक्षा का नया दौर शुरू हो चुका है। कर्नाटक के नए जेल डीजीपी अलोक कुमार ने दिसंबर 2025 में बड़ा फैसला लिया। राज्य की जेलों में एआई-बेस्ड इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम ट्रायल पर लगाया जाएगा।
शुरुआत मैसूर, बेंगलुरु और बेलगावी जेलों से होगी। यह सिस्टम संदिग्ध गतिविधियां जैसे दीवार चढऩा, बाहर से मोबाइल-ड्रग्स फेंकना या झगड़ा खुद डिटेक्ट करके तुरंत अलर्ट देगा। हालिया छापों में मोबाइल और गांजा बरामद होने के बाद यह कदम उठाया गया।
नॉर्मल सीसीटीवी सिर्फ रिकॉर्ड करता है, इंसान को घंटों देखना पड़ता है। थकान से घटनाएं मिस हो जाती हैं। लेकिन एआई चौबीज घंटे वीडियो एनालाइज करता है, असामान्य मूवमेंट पकड़ता है और ऑटो अलार्म बजाता है। स्टाफ की कमी दूर होगी, खतरे पहले ही रोके जाएंगे।
20 सितंबर 2025 को जयपुर की हाई-सिक्योरिटी सेंट्रल जेल से दो कैदी रबर पाइप की मदद से 27 फीट ऊंची दीवार और हाई-टेंशन वायर फांदकर फरार हो गए। कैदियों ने बैरक की जाली काटी और रात 3-4 बजे के बीच भाग निकले थे। घटना के बाद जेल प्रशासन में हडक़ंप, कई प्रहरियों को सस्पेंड किया गया। दोनों बाद में पकड़े गए, लेकिन यह घटना जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
इससे पहले भी इसी जेल से मोबाइल बरामदगी जैसी घटनाएं हो चुकी हैं।
दुनिया में अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और चीन में यह तकनीक सफल है। कर्नाटक का यह कदम अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनेगा। एआई जेलों को सुरक्षित ही नहीं, सुधार के लिए भी बेहतर बनाएगा। यह 'डिजिटल गार्ड' कभी नहीं थकेगा। जेल सुरक्षा अब हाई-टेक युग में है।