जयपुर

जयपुर में विरासत पर वार: खतरा बता धरोहर कर रहे ध्वस्त, दो दशक बाद मिट जाएगा परकोटे का नामों निशां

राजधानी जयपुर का परकोटा क्षेत्र अपने में 300 वर्ष का इतिहास समेटे हुए है। सांस्कृतिक महत्ता के कारण यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया, लेकिन आज अपनी पहचान खोने के कगार पर है। हवेलियों को तोड़कर कॉम्प्लेक्स बनाने की परम्परा के बाद अब जर्जर मकानों को तोड़ा जा रहा है।

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Oct 12, 2025
यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल हवेलियों पर चला निगम को बुलडोजर, पत्रिका फोटो

राजधानी जयपुर का परकोटा क्षेत्र अपने में 300 वर्ष का इतिहास समेटे हुए है। सांस्कृतिक महत्ता के कारण यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया, लेकिन आज अपनी पहचान खोने के कगार पर है। हवेलियों को तोड़कर कॉम्प्लेक्स बनाने की परम्परा के बाद अब जर्जर मकानों को तोड़ा जा रहा है। इनमें से कई इमारतें ऐसी हैं, जिन्होंने गुलाबी नगरी की बेमिसाल वास्तुकला और परंपरा को सदियों तक जिंदा रखा। अब इनको बेरहमी से तोड़ा जा रहा है। हैरिटेज निगम के अधिकारियों का तर्क है कि ये निजी संपत्ति और आमजन के जीवन पर खतरा हैं। शहरी सरकार ने इन वर्षों में पुरानी इमारतों का संरक्षण और मरम्मत की बजाय तोड़फोड़ को समाधान मान लिया है। विशेषज्ञों की मानें तो तोडफ़ोड़ की यही रफ्तार रही तो अगले दो दशक में परकोटा नया हो जाएगा। परकोटा की असली विरासत सिर्फ तस्वीरों और यादों में बचेगी।

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नियमों में ये प्रावधान

अग्रभाग में भवन की मूल रंग योजना का पालन किया जाएगा। किसी भी भवन के अग्रभाग के पुनर्निर्माण, जीर्णोद्धार या मरम्मत में प्रयुक्त सामग्री मूल के समान ही होगी। उपयोग किए जाने वाले रंगों या सामान के संबंध में मार्गदर्शन हैरिटेज निगम से लिया जाए। अग्रभाग पर टाइल्स, धातु शीट या एल्युमीनियम मिश्रित पैनल और धातु कोटिंग को लगाना अवैध है। दुकानों में लकड़ी के शटर, दरवाजों और खिड़कियों के शटर, उनके खुलने वाले हिस्सों पर लगी ग्रिल गहरे भूरे रंग की होंगी। वहीं, दुकानों के खुलने वाले हिस्सों, दरवाजों या खिड़कियों के लिए लगे ऐतिहासिक लकड़ी के शटर को संरक्षित किया जाएगा और मौजूदा साक्ष्यों के अनुसार उन पर रंग किया जाएगा या अलसी के तेल से उपचार किया जाएगा। दरवाजों और खिड़कियों के ठोस या जालीदार शटर, ग्रिल और खिडक़ी के फ्रेम गहरे भूरे रंग के होने चाहिए। कांच के शीशों पर चमकदार, परावर्तक धातु या रंगीन कोटिंग नहीं होनी चाहिए। (हैरानी की बात यह है कि ऐसा कुछ मौके पर निर्माण के दौरान नहीं हो रहा है।)

जयपुर नगर निगम ये कर रहा

टाउन प्लानिंग शाखा में निर्माण स्वीकृति की फाइलें नहीं जा रहीं और जोन स्तर और प्लानिंग शाखा से स्वीकृतियां जारी हो रही हैं। परकोटा के बाहर और अंदर निर्माण स्वीकृति देने के लिए अलग- अलग नियम हैं। लेकिन उपायुक्त उसका ध्यान नहीं रख रहे।

प्रोत्साहित करने की जरूरत

कई इमारतें जर्जर हैं। उनके मकान मालिकों से निगम संपर्क करे। सरकार और निगम मिलकर ऐसी योजना बनाएं, जिससे लोग अपने वर्षों पुराने भवन को संरक्षित करने के लिए आगे आएं। लोगों का सवाल होता है कि सरकार हमारी क्या मदद कर रही है, इसके लिए बिजली-पानी जैसी अन्य मूलभूत सुविधाओं में रियायत देनी चाहिए। विरासत तोड़ने के नियमों कीसख्ती से पालना होनी चाहिए। हैरिटेज इ्पेक्ट असिसमेंट (एचआइए) भी करवाना चाहिए। इससे निर्माण के आस-पास क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी तस्वीर साफ जाएगी। -चंद्रशेखर पाराशर, सेवानिवृत्त, अतिरिक्त मुख्य नगर नियोजक

बायलॉज लागू…काम नहीं हो रहा

वल्र्ड सिटी बॉयलाज-2020 तो बन गए, लेकिन इनकी पालना निर्माण के दौरान न तो निर्माणकर्ता करते हैं और न ही निगम अधिकारी ध्यान देते हैं। गुपचुप तरीके से काम होता है और धीरे-धीरे पुराने शहर को नया करने का काम चल रहा है।

सूची आई थी

जोन से हमारे पास जर्जर भवनों की सूची आई थी। उसके आधार पर हमने ऐसे भवनों को चिन्हित किया जिनको गिराया जाना बेहद जरूरी था। वो सूची बनाकर जोन को वापस भेज दी। उसी के आधार पर अब कार्रवाई की जा रही है। इसमें अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता सहित सतर्कता शाखा उपायुक्त, जोन उपायुक्त सहित अन्य अधिकारी शामिल किए गए थे। -श्रवण वर्मा, अतिरिक्त मुख्य
अभियंता

Published on:
12 Oct 2025 09:36 am
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