विकसित राजस्थान 2047 के विजन को विशेषज्ञों ने रंगीला सपना बताते हुए कहा कि कागजी प्लान को जमीन पर उतारना होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और ग्रामीण विकास की नीतियों में असर दिखे तभी सपना पूरा होगा।
जयपुर: आजादी के 100वें साल यानी 2047 के राजस्थान का विजन पूरा करने के लिए कागजी योजनाओं से आगे बढ़ने की जरूरत है। अर्थशास्त्रियों, पूर्व नौकरशाहों और विषय विशेषज्ञों ने विकसित राजस्थान 2047 को एक रंगीला सपना बताते हुए कहा, यह तभी पूरा हो सकता है जब शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और ग्रामीण विकास की नीतियां जमीन पर असर दिखाएं।
कागजी प्लान धरातल पर उतारने की योजना जल्द सार्वजनिक की जाए। राजस्थान की संस्कृति और पर्यटन समृद्ध हैं तो लीथियम भंडार भविष्य की संभावना, इनका लाभ तभी मिल सकता है, जब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करें।
राजस्थान में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य का अनुभव रखने वाले इन विशेषज्ञों का कहना है, जब तक आखिरी व्यक्ति तक लाभ नहीं पहुंचे, विजन अधूरा है। अधिकारियों को इसी सोच के साथ विजन को पूरा करने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए। क्योंकि प्रधानमंत्री स्वयं भी नियमित तौर पर मॉनिटरिंग करते हैं और यह विजन भी प्रधानमंत्री के मंत्र का हिस्सा है।
सपना तो दिखा दिया अब रणनीति स्पष्ट की जाए। यह खुलासा हो कि कृषि में किन फसलों पर जोर रहेगा और क्या इनके प्रसंस्करण की व्यवस्था होगी। पैदा हम करें, प्रोसेसिंग दूसरे राज्य में क्यों हो? इसी तरह औद्योगिक विकास के लिए कौन से उद्योग लाएंगे और हमारे पास क्या संसाधन हैं, उपलब्ध नहीं हैं तो खोज हो। लीथियम उत्खनन और एआई के लिए प्लान तैयार हो।
-प्रो. सतीश बत्रा, अर्थशास्त्री
मैंने आईएएस के रूप में राज्य में शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग संभाले, उस समय नवाचार किए और दूसरे राज्यों के अच्छे कार्य लागू किए। उच्च अधिकारी फील्ड विजिट पर जाएं और सरकार प्लान को स्वत: सार्वजनिक करे। विजन को पूरा करने के लिए उसमें जनता की भागीदारी बढ़ाना जरूरी है।
-सुधीर भार्गव, पूर्व केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त
हर आदमी की आय बढ़ाने के लिए रोजगार जरूरी है, अच्छी सुविधाएं और अच्छी गवर्नेंस जरूरी है। उद्योग और शिक्षा के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए विजन जरूरी है। इसमें जो हो, वह बजट में दिखे। लोग सभी जगह के डॉक्यूमेंट देख रहे हैं, उससे अपेक्षाएं बढ़ी हैं। उन्हें पूरा करने का प्रयत्न होना चाहिए।
-जेपी गुप्ता, सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, गुजरात