
Ashok Gehlot (Patrika Photo)
Rajasthan Politics: जयपुर: राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक पुनर्गठन की प्रक्रिया जारी है। लेकिन जयपुर शहर जिला अध्यक्ष का पद अभी भी खाली है। इसका मूल कारण पद के लिए चल रही तीखी अंतर्कलह है।
बता दें कि पार्टी अब तक 45 जिलों में अध्यक्ष नियुक्त कर चुकी है। लेकिन जयपुर में जातीय समीकरण और आंतरिक गुटबाजी के चलते फैसला अटका हुआ है। खास बात यह है कि यह पद ब्राह्मण समुदाय के तीन प्रमुख दावेदारों के बीच फंसा हुआ है।
जयपुर शहर जिला अध्यक्ष पद के लिए मुख्य दो नाम चर्चा में हैं, सुनील शर्मा और पुष्पेंद्र भारद्वाज। दोनों को पार्टी के भीतर अलग-अलग पावर सेंटर का समर्थन प्राप्त है। वहीं, मौजूदा अध्यक्ष आरआर तिवारी भी पद पर बने रहने की इच्छा जता चुके हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। तीनों उम्मीदवार ब्राह्मण समाज से होने के कारण इस पद पर जातीय संतुलन भी एक अहम कारक बन गया है।
पुष्पेंद्र भारद्वाज : इन्होंने 2018 और 2023 में सांगानेर से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा। ताजा चुनाव में वे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से हार गए। विरोधियों का तर्क है कि उनका राजनीतिक रिकॉर्ड कमजोर है, जबकि समर्थक बताते हैं कि वे 20 साल से संगठन के साथ सक्रिय रहे हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत नेटवर्क रखते हैं।
सुनील शर्मा : इनके नाम को लेकर विवाद इसलिए है, क्योंकि इनका पहले ‘जयपुर डायलॉग्स’ जैसे विवादित दक्षिणपंथी मंच से जुड़ाव रहा। इसी कारण 2024 लोकसभा चुनाव में इनकी उम्मीदवारी वापस ले ली गई थी। विरोधियों का कहना है कि ऐसे व्यक्ति को संगठन का नेतृत्व देना जोखिम भरा होगा। हालांकि, पक्ष में बैठे नेताओं का दावा है कि शर्मा के पास संसाधन और स्थानीय नेताओं का समर्थन है, जो संगठन को मजबूती दे सकता है।
जयपुर ही नहीं, बल्कि राजसमंद और प्रतापगढ़ में भी जिला अध्यक्ष के चयन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राजसमंद में चर्चा में जो नाम हैं, उनमें आदित्य प्रताप सिंह, देवकीनंदन ‘काका’ गुर्जर और हरी सिंह राठौड़ शामिल हैं। वहीं, प्रतापगढ़ में दावेदारों की लिस्ट में दिग्विजय सिंह, इंद्रा मीना, नितिन जैन, भानु प्रताप सिंह, ओमप्रकाश ओझा और उदय अहिर शामिल हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने देरी का कारण देते हुए कहा, बारां और झालावाड़ जिले में उपचुनाव होने के चलते प्रक्रिया रोकी गई थी। अब निर्णय जल्द लिया जाएगा और अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान पर निर्भर है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को संगठन की मजबूती पर जोर देते हुए कहा, कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष बनना मंत्री बनने से कहीं ज्यादा कठिन काम है। उन्होंने कहा, किसी को मंत्री बनाना आसान है, लेकिन संगठन का अध्यक्ष बनना कठिन काम है। वह तभी कामयाब होगा, जब सबको साथ लेकर चले। उन्होंने नए अध्यक्षों से अपील की कि वे ब्लॉक, मंडल और बूथ स्तर तक कमेटियां बनाकर संगठन को जमीन से मजबूत करें।
Updated on:
24 Nov 2025 03:30 pm
Published on:
24 Nov 2025 03:01 pm
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