Real Truth Of Diggi Kalyan ji pad yatra: हर साल बड़ी संख्या में लोग डिग्गी कल्याण जी की लक्खी यात्रा में शामिल होते हैं, लेकिन बेहद कम लोगों को यह पता होगा कि पहली बार यह यात्रा किसने और क्यों निकाली थी। इसकी पीछे की कहानी बेहद ही रोचक है।
Real Truth Of Diggi Kalyan ji pad yatra: राजधानी जयपुर से हर साल रवाना होने वाली डिग्गी कल्याण जी की लक्खी यात्रा का आज समापन होने जा रहा है। चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर से शुरू हुई यह यात्रा 11 अगस्त को रवाना हुई थी। आज मालपुरा टोंक में स्थित मंदिर में इस यात्रा के समापन के बाद बड़ा आयोजन किया जाएगा। हर साल बड़ी संख्या में लोग डिग्गी कल्याण जी की लक्खी यात्रा में शामिल होते हैं, लेकिन बेहद कम लोगों को यह पता होगा कि पहली बार यह यात्रा किसने और क्यों निकाली थी। इसकी पीछे की कहानी बेहद ही रोचक है।
दरअसल 59 साल पहले राजधानी जयपुर में रहने वाले एक बड़े कारोबारी जिनका नाम रामेश्वर प्रसाद शर्मा था, उनका देहांत कुछ समय पहले ही हुआ है। रामेश्वर लाल शर्मा लोहे के बड़े कारोबारी थे और उनकी कोई संतान नहीं थी। उनको किसी ने कहा कि वे मालपुरा, टोंक में स्थित भगवान डिग्गी कल्याण जी के यहां पदयात्रा करते हुए जाएं और पुत्र रत्न की मन्नत मांगे। रामेश्वर लाल शर्मा और उनके परिवार के चुनिंदा सदस्यों ने पैदल यात्रा की और डिग्गी पहुंचकर पूजा पाठ कर वापस लौट आए। कुछ दिनों बाद ही रामेश्वर लाल को पुत्र रत्न की प्राप्ती हुई। बेटे को लेकर वे सीधे कल्याण धणी के दरबार में कार से पहुंचे।
कल्याण जी के आर्शीवाद से पुत्र मिला तो उसका नाम श्री जी ही रख दिया गया। उसके बाद हर साल सावन के महीने में यह पदयात्रा निकाली लाने लगी। कुछ ही सालों में इस यात्रा का स्वरूप इतना बड़ा हो गया कि यह लक्खी यात्रा हो गई। कुछ साल पहले श्रीजी के पिता रामेश्वर लाल का देहांत हो गया। उसके बाद अब श्रीजी ये प्रथा निभा रहे हैं। अपने जन्म से लेकर अब तक वे हर साल डिग्गी कल्याण जी की यात्रा की शुरुआत करते हैं। जिस कार में पहली बार कल्याण धणी के गए थे वह कार हर बार सिर्फ लक्खी यात्रा के प्रचार के लिए ही काम में ली जाती है।