ठग हर दिन नए-नए तरीकों से लोगों को शिकार बना रहे है। हालात यह है कि अब सिर्फ अनपढ़ या ग्रामीण ही नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे और तकनीक से जुड़े लोग भी इन जालसाजों के शिकार बन रहे है।
जयपुर शहर से लेकर गांव तक साइबर ठगों का जाल तेजी से फैलता जा रहा है। ये ठग हर दिन नए-नए तरीकों से लोगों को शिकार बना रहे है। हालात यह है कि अब सिर्फ अनपढ़ या ग्रामीण ही नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे और तकनीक से जुड़े लोग भी इन जालसाजों के शिकार बन रहे है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन ठगी के मामले भी बढ़ते जा रहे है। जयपुर में पुलिस कमिश्नरेट में साइबर थाना है जो स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। वहीं थानों में अभी भी साइबर एक्सपर्ट नहीं होने से ठगी शिकार लोगों की सुनवाई नहीं हो रही। इससे निपटने के लिए कुछ जगह पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट लगाए जो थानों में ट्रेनिंग दे रहे है।
झारखंड का जामताड़ा लंबे समय से साइबर अपराध का गढ़ माना जाता रहा है। से यहां के कई युवकों ने इस धंधे से करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली है। अब मेवात इलाका भी तेजी इसी राह पर बढ़ रहा है। हाल में साइबर पुलिस ने मेवात से कई ठगों को गिरफ्तार किया था। राजस्थान पुलिस ने कार्रवाई कर साइबर ठगों पर काफी हद तक लगाम कसी लेकिन फिर भी लोगों से ठगी की वारदातों पर सख्ती से अंकुश नहीं लग सका है।
अधिकतर मामलों में साइबर ठग खुद को बैंक अधिकारी बताकर लोगों को फोन करते हैं। वे खाते बंद होने या एटीएम ब्लॉक होने का झांसा देकर लोगों से ओटीपी, एनीडेस्क ऐप डाउनलोड कराते या एटीएम पिन पूछते हैं। इन झांसों में आकर लोग अपने खाते की पूरी रकम गंवा बैठते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी फर्जी पुलिस और कोर्ट की छवि के उपयोग को लेकर सरकारों को सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।
गिरफ्तार ठगों ने पुलिस को बताया कि गैंग का हर सदस्य रोजाना कम से कम 50 लोगों को कॉल करता है. जिनमें से चार से पांच लोग झांसे में आ ही जाते हैं। इन ठगों ने बाकायदा ऑफिस खोल रखे हैं, जहां युवाओं को सैलरी पर रखा जाता है। कई मामलों में तो बाकायदा कॉल सेंटर की तर्ज पर युवाओं को भर्ती कर ठगी का जाल फैलाया जा रहा है।
अधिकतर ठगी के मामलों में जागरूकता की कमी ही मुख्य कारण बनती है। पुलिस प्रशासन की ओर से लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है, लेकिन अभी भी लोग साइबर ठगी का शिकार आसानी से हो रहे हैं।
राज्य सरकार की घोषणा के बाद हर जिले में साइबर थाने खोले जा रहे हैं। साथ ही, पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि अपराधियों पर सख्ती से शिकंजा कसा जा सके।