गुलाबी नगर अब न्याय और जांच की आधुनिक तकनीक का केंद्र बनने जा रहा है। फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू), गांधीनगर की शाखा की शुरुआत से न केवल छात्रों को फॉरेंसिक शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि अदालतों में लंबित मामलों को सुलझाने की गति भी बढ़ेगी।
गांधीनगर/जयपुर. गुलाबी नगर अब न्याय और जांच की आधुनिक तकनीक का केंद्र बनने जा रहा है। फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू), गांधीनगर की शाखा की शुरुआत से न केवल छात्रों को फॉरेंसिक शिक्षा के नए अवसर मिलेंगे, बल्कि अदालतों में लंबित मामलों को सुलझाने की गति भी बढ़ेगी। दिवाली के आस-पास इसका उद्घाटन प्रस्तावित है। प्रतापनगर के कोचिंग हब के टावर संख्या आठ में अभी अस्थायी रूप से इसका संचालन शुरू किया गया है और कक्षाएं भी चल रही हैं। यहां डिप्लोमा से लेकर डिग्री तक के कोर्स करवाए जाएंगे। गांधीनगर स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी के कैंपस डायरेक्टर एस.ओ. जुनारे के अनुसार, यहां कोर्स संचालित होने के साथ-साथ न्यायाधीशों, पुलिस अधिकारियों और जांच अधिकारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जल्द ही कैंपस का स्थायी ठिकाना दौलतपुरा में होगा। इसके लिए जेडीए ने जुलाई में 12.47 हेक्टेयर जमीन आवंटित की है। राज्य सरकार से अनुमति के बाद जेडीए ने डिमांड नोट जारी किया है। राशि जमा होते ही जेडीए आवंटन पत्र जारी करेगा।
एनएफएसयू के देशभर में अभी नौ कैंपस संचालित हैं और नौ नए बनाने की तैयारी है। फिलहाल देशभर में पांच लाख से अधिक प्रकरणों की फॉरेंसिक जांच लंबित हैं, देश में 32 हजार फॉरेंसिक एक्सपर्ट की आवश्यकता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में अभी सजा के प्रावधान में चश्मदीद गवाहों पर अधिक भरोसा किया जाता है, जबकि अन्य देशों में वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित फॉरेंसिक साइंस का उपयोग होता है। यही वजह है कि वहां सजा की दर अधिक है।
कनाडा: 60 प्रतिशत
यूके/यूएसए: 85 से 90 प्रतिशत
इजराइल: 92 प्रतिशत
भारत: 54.3 प्रतिशत
एफएसएल सैंपल की जांच में तेजी आएगी, अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। कोर्स पूरा करने के बाद हर साल नए छात्र बतौर एक्सपर्ट कार्य करेंगे। सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मांग बढ़ेगी।