जयपुर-आगरा हाईवे पर कानोता से निकलने के बाद के नदी के लिए पूरा लंबा क्षेत्र है। हिंगोनिया, सिंदौली, सांख, बिसनसिहंपुरा, सांभरिया में पूरी रपट पर पानी का बहाव है।
कुलदीप शर्मा
जयपुर समेत आसपास का क्षेत्र जो ढूंढाड़ के नाम से प्रसिद्ध है, इसकी प्रसिद्ध नदी ढूंढ कई दशकों बाद एक महीने से लगातार बह रही है। लाखों-करोड़ों लीटर बेहिसाब जलराशि बहते बहते निकल रही है, लेकिन इसे रोकने के लिए जिम्मेदारों द्वारा कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए। जहां कई बांध, एनिकट बनाए गए हैं वहीं यहां पानी रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से कानोता से लेकर हिंगोनिया, सिंदौली, सांख, बिसनसिंहपुरा, सांभरिया में ढूंढ नदी के किनारे ऐसे तालाब बनाए जाएं जो नदी के पानी से भरें तो सालभर तक पानी नसीब हो सकता है। जमीन के भीतर उतरे इस पानी से आसपास की भूमि रिचार्ज जरूर हुई है।
जयपुर-आगरा हाईवे पर कानोता से निकलने के बाद के नदी के लिए पूरा लंबा क्षेत्र है। हिंगोनिया, सिंदौली, सांख, बिसनसिहंपुरा, सांभरिया में पूरी रपट पर पानी का बहाव है। आगे चाकसू तक पूरी चौड़ाई मिलने से नदी का बहाव अभी रपट के नीचे चल रहा है।
ढूंढ नदी के विकास को लेकर योजना बनाने की दरकार है। इसके लिए जिम्मेदारों द्वारा एक प्रोजेक्ट बनाया जाए। नदी के बहाव क्षेत्र में छोटे बांध एनीकट और पौधारोपण समेत अन्य योजनाएं विकसित की जाए जिससे क्षेत्र का प्राकृतिक स्वरूप और नदी का बहाव लगातार बना रहें।
ढूंढ नदी में कई वर्षों बाद बहाव बना है, ऐसे में तत्काल कोई कार्य विभाग द्वारा स्वीकृत नहीं हो सकता है, नदी का बहाव अगर आगामी वर्ष में भी बना रहता है तो ग्रामीणों द्वारा तैयार किए गए कच्चे बांधों को विभाग द्वारा मजबूती प्रदान कराई जाएगी।
अनिल, एक्सईएन, जल संसाधन विभाग
जल संसाधन विभाग से नदी क्षेत्र की तकनीकी समीक्षा करवाकर फिजूल बह रहें ढूंढ नदी के अनमोल जल के उपयोग के लिए प्रस्ताव सरकार को भिजवाया जाएगा।
ओम प्रकाश मीणा, उपखंड अधिकारी, बस्सी