Spice Industry Growth: वैश्विक मंच पर चमका राजस्थानी मसाला उद्योग, 2024 में निर्यात ₹ 2,500 करोड़ पार, जोधपुर स्पाइस पार्क बना मसाला कारोबार का केंद्र, रोजगार और उत्पादन दोनों में उछाल, राजस्थान के मसालों की दुनियाभर में बढ़ी मांग, जीरा-धनिया बने निर्यात के सितारे।
अरुण कुमार
Global Spice Demand: जयपुर। राजस्थान देश का दूसरा सबसे बड़ा मसाला उत्पादक राज्य है, जो अपने मसाला उद्योग के जरिए वैश्विक बाजार में तेजी से उभर रहा है। 2024 में जीरा, धनिया, सौंफ, और मेथी जैसे मसालों की वैश्विक मांग 25% बढ़ी, जिसमें राजस्थान का योगदान 11.44 लाख टन (कुल राष्ट्रीय उत्पादन का 20%) रहा। जोधपुर का स्पाइस पार्क, मथानिया के रामपुरा भाटियान में 60.07 एकड़ में स्थापित, मसाला प्रसंस्करण और निर्यात का केंद्र बन गया है। यह पार्क, 2012 में 27 करोड़ रुपए की लागत से शुरू, जीरा और धनिया जैसे बीज मसालों की प्री-क्लीनिंग, ग्रेडिंग, और पैकिंग के लिए आधुनिक सुविधाएं प्रदान करता है।
जयपुर, कोटा, और नागौर जैसे स्थानीय बाजारों में मसाला व्यापार 15% बढ़ा, जिससे किसानों और कारोबारियों को लाभ हुआ। हालांकि सरकार अगर और प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाए और किसानों को राहत दे तो राजस्थान कुछ समय में ही देश में नंबर वन हो सकता है।
जोधपुर स्पाइस पार्क में 2024 तक 20 नई प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित हुईं, जो कम लागत वाली मशीनरी (जैसे डिसइंटीग्रेटर और ऑटोमेटिक ग्राइंडर) का उपयोग करती हैं। इन इकाइयों ने 2024 में 500 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ। मसाला बोर्ड और राजस्थान सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 30% सब्सिडी ने लागत को 30% तक कम किया, जिससे छोटे उद्यमी भी यूनिट्स शुरू कर सके।
जयपुर के जौहरी बाजार और बापू बाजार में मसाला पैकेजिंग और ब्रांडिंग 20% बढ़ी। कोटा के रामगंजमंडी में प्रस्तावित मसाला पार्क, 30 एकड़ में, 2025 तक शुरू होगा, जो धनिया और मिर्च प्रसंस्करण को बढ़ावा देगा।
जयपुर के वैशाली नगर और मानसरोवर में मसाला स्टार्टअप्स ने 15% बिक्री वृद्धि दर्ज की, जिसमें 40% कारोबारी युवा हैं। बापू बाजार में मसाला पैकेजिंग इकाइयों ने 2024 में 200 करोड़ रुपए का राजस्व जोड़ा। नागौर और बाड़मेर में जीरा और धनिया प्रसंस्करण ने 10,000 किसानों को एमएसपी से 20% अधिक मूल्य दिलाया। 2024 में मसाला निर्यात ने अमेरिका, यूएई, और वियतनाम को 500 टन जीरा और 300 टन धनिया भेजा, जिससे 15% राजस्व वृद्धि हुई। कोल्ड स्टोरेज की कमी से 10% मसाले खराब हुए, जिसे कम करने के लिए सरकार ने 2025 में 50 नए स्टोरेज की योजना बनाई।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 50% तक सब्सिडी (5-10 लाख रुपए प्रति यूनिट) और मसाला बोर्ड की सहायता से छोटे कारोबारी लाभान्वित हुए। 2025 में उदयपुर और बीकानेर में नई प्रसंस्करण इकाइयां शुरू होंगी, जिससे निर्यात में 20% और वृद्धि की उम्मीद है। लेकिन कड़ा सच यह है कि सरकार अभी भी नई प्रसंस्करण इकाइयों के मामले सुस्त है. 70 फीसदी प्रोजेक्ट लेट-लतीफी के शिकार हैं। इससे उत्पादन के साथ बाजार भी प्रभावित हो रहा है।
• जयपुर के वैशाली नगर और मानसरोवर में 15% बिक्री वृद्धि।
• बापू बाजार में मसाला पैकेजिंग इकाइयों से 200 करोड़ रुपए का कारोबार।
• नागौर और बाड़मेर के 10,000 किसानों को 20% अधिक मूल्य।
• अमेरिका, यूएई और वियतनाम जैसे देशों में 500 टन जीरा और 300 टन धनिया का निर्यात।
• 10% मसालों का खराब हो जाते हैं। कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण ।
• 2025 तक 50 नए कोल्ड स्टोरेज की योजना।
• 70% सरकारी प्रोजेक्ट में देरी, जिससे प्रसंस्करण व निर्यात प्रभावित।