राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को हंगामे के बीच तीन बिल पारित हुए, जिसके बाद सदन की कार्यवाही 8 सितंबर तक स्थगित कर दी गई। इस दौरान सामने आया कि प्रदेश में अबतक 347 छोटे, 279 बड़े पशु मरे, 2916 मकान ढहे, 26 आश्रितों को 1.04 करोड़ बांटे गए।
जयपुर। प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण 193 लोग काल का ग्रास बन गए, वहीं इस मुद्दे पर गुरुवार को विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के आरोप-प्रत्यारोप के बीच पूरे दिन में सदन की कार्यवाही मात्र 127 मिनट ही चल पाई। किसानों और प्रभावितों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग को लेकर विपक्ष ने वेल में आकर नारेबाजी की। सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्य कई बार आमने-सामने हुए। इस हंगामे के बीच सदन में तीन बिल पारित किए गए। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह तक स्थगित कर दी।
विपक्ष ने सदन की कार्रवाई के दौरान किसानों, प्रभावितों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग करते हुए वेल में आकर सत्ता पक्ष को घेरा और स्लोगन लिखे कागज लहराए। वहीं सत्ता पक्ष ने भी कांग्रेसी सदस्यों पर आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए सदस्यों को चेताते रहे, लेकिन कुछ सदस्यों ने आसन को भी चुनौती देने की कोशिश की। ऐसे में पहली बार 86 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की गई और दोबारा केवल 33 मिनट ही सदन चला। इस तरह गुरुवार को सदन केवल 127 मिनट चला।
अजमेर कायड़ स्थित फूलसागर तालाब में पचास साल बाद आए पानी से पुष्कर नया बायपास कायड़ पुलिया पानी में डूब गई, जिससे रास्ता बंद हो गया। गुरुवार को हुई बारिश के बाद लोगों के साथ ही मवेशियों की भी आफत आ गई।
प्रदेश में अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मंत्री-विधायकों से चर्चा की। उन्होंने विधायकों को 5 से 7 सितम्बर तक अपने विधानसभा क्षेत्रों के निरीक्षण के निर्देश दिए। साथ ही, प्रभारी मंत्री तथा प्रभारी सचिव को भी अपने क्षेत्रों में दो दिन तक दौरा कर आमजन की समस्याओं का निस्तारण करने के लिए कहा।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में इस वर्ष 1 जून से 1 सितम्बर तक औसत बारिश से 56 प्रतिशत से अधिक बारिश हुई है। सभी विधायक अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में जाएं और जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर राहत-बचाव कार्यों को गति प्रदान करें। उन्होंने प्रभारी मंत्री एवं विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में जिला कलक्टर और उच्च अधिकारियों के साथ नियमित बैठक कर फीडबैक लेने के निर्देश दिए।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान शराब की दुकानों पर एमआरपी से ज्यादा दरों पर शराब बेचने, एक दुकान की पांच-पांच अवैध ब्रांच खोलकर शराब बेचने का मामला सदन में गूंजा। आबकारी मंत्री के रूप में सदन में जवाब दे रहे गजेन्द्र सिंह खींवसर ने भी इसे स्वीकारा और कहा कि शिकायतें आई हैं, कार्रवाई भी कर रहे हैं। इस मामले में दौसा के अधिकारी को एपीओ कर दिया है।
लालसोट से भाजपा के सदस्य रामबिलास ने सदन में शराब बंदी सहित अन्य मामलों को लेकर सवाल किए थे। खींवसर ने कहा कि शराबबंदी का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
आपदा राहत मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने जब प्रभावितों को उचित मुआवजा देने की बात कही, तभी कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा और अशोक चांदना बीच में बोलने लगे। अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने चांदना को टोका तो दोनों के बीच बहस हो गई। नाराज देवनानी ने कहा-'आप मुझे चैलेंज कर रहे हो।' इस पर कांग्रेसी सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। जवाब में सत्ता पक्ष के सदस्य भी वेल तक पहुंच गए।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली, नरेन्द्र बुडानिया, अमित चाचान सहित कांग्रेसी सदस्यों ने आरोप लगाया कि अतिवृष्टि से फसलें चौपट हो गई हैं, गोदामों में गेहूं सड़ रहा है, पशु मर रहे हैं और लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। कई शहरों के इलाके पानी में डूबे हुए हैं। 'सरकार' हेलीकॉप्टर में घूम रही है और प्रभावित खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल व अन्य भाजपा सदस्यों ने जवाब दिया कि कांग्रेस कभी भी किसान हितैषी नहीं रही। सरकार प्रभावितों को राहत दे रही है, लेकिन विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है। संसदीय परंपराओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आसन तक को चुनौती देने से बाज नहीं आ रहे। अध्यक्ष का अपमान नहीं सहेंगे।
सदस्यों के वेल में नारेबाजी के बीच मंत्री अविनाश गहलोत बोले, राहुल गांधी गालीबाज नेता हैं। वे जो कहते हैं, वही आप लोग करते हो। इसके बाद कांग्रेसी सदस्य उत्तेजित हो गए। टीकाराम जूली ने कहा कि-सरकार ने आपदा राहत मंत्री को बेड़ियों में बांध रखा है। सीएम भी किसानों की पीड़ा सुनने की बजाय सदन से चले गए। उम्मीद थी कि वे राहत पैकेज घोषित करेंगे।