सरकार ने जयपुर में पहले सरकारी इंजीनियरिंग की घोषणा कर जोर-शोर से कॉलेज की शुरुआत कर दी। जयपुर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम पर राजस्थान ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी छात्रों ने प्रवेश ले लिया। अब दो वर्ष बाद सरकार अचानक कॉलेज को जयपुर से शिफ्ट करने पर विचार कर रही है। इसका […]
सरकार ने जयपुर में पहले सरकारी इंजीनियरिंग की घोषणा कर जोर-शोर से कॉलेज की शुरुआत कर दी। जयपुर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम पर राजस्थान ही नहीं, दूसरे राज्यों से भी छात्रों ने प्रवेश ले लिया। अब दो वर्ष बाद सरकार अचानक कॉलेज को जयपुर से शिफ्ट करने पर विचार कर रही है। इसका छात्रों ने विरोध शुरू कर दिया है। कॉलेज में हाल ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और कॉलेज को विकसित करने की मांग उठाई। छात्रों का तर्क है कि उन्होंने जयपुर के नाम पर कॉलेज में प्रवेश लिया था। अगर दूदू में कॉलेज शिफ्ट किया तो यह उनके साथ धोखा होगा। कॉलेज में अभी तीन ब्रांच में करीब 120 छात्र पढ़ रहे हैं। गौरतलब है कि गत कांग्रेस सरकार ने बजट में जयपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज की घोषणा की थी।
जयपुर में रहेगा कॉलेज तो होगा विकास
शिक्षाविदों की मानें तो किसी भी संस्थान के विकसित होने में उस शहर का बड़ा योगदान रहता है। देश के बड़े संस्थान उन्हीं शहरों के नाम से जाने जाते हैं। ऐसे में जयपुर के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज का विकास यहीं हो सकता है। अगर इसे दूदू शिफ्ट किया तो इसका फायदा छात्रों को नहीं मिलेगा। फिर दूसरे जिलों के कॉलेजों में छात्र प्रवेश लेना पसंद ही नहीं करते।
जयपुर में कॉलेज रहने के फायदे
-जयपुर राजधानी है। इस हिसाब से छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं
- एयरपोर्ट, रेल और बस अड्डे से बेहतर कनेक्टिविटी है, छात्र आराम से आ-जा सकते हैं
-- छात्रों को हॉस्टल और लोकल ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिल रही है
-- दूसरे तकनीकी संस्थान भी जयपुर में हैं, इनसे छात्र समन्वय कर सकते हैं
सरकार कॉलेज को नया स्वरूप देना चाहती थी। तकनीकी शिक्षा विभाग ने पंजाब और महाराष्ट्र के कॉलेजों का अध्ययन कराया। इंजीनियरिंग कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी की तर्ज पर खोलने पर विचार किया गया। इसकी क्रियान्विति के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग ने कमेटी का गठन किया लेकिन इस पर काम भी शुरू नहीं हुआ। दो साल से सरकार कॉलेज का भवन तक तैयार नहीं करा पाई।