जयपुर आर्ट वीक के पांचवें दिन भी राजस्थान की पारंपरिक कला और समृद्ध विरासत एक बार फिर जीवंत हो उठी। मौका था बाइस गोदाम स्थित क्रिएटिस स्टूडियो में आयोजित ब्लॉक प्रिंटिंग वर्कशॉप का।
जयपुर। जयपुर आर्ट वीक के पांचवें दिन भी राजस्थान की पारंपरिक कला और समृद्ध विरासत एक बार फिर जीवंत हो उठी। मौका था बाइस गोदाम स्थित क्रिएटिस स्टूडियो में आयोजित ब्लॉक प्रिंटिंग वर्कशॉप का। प्रतिभागियों ने यहां पहली बार ब्लॉक्स को अपने हाथों में थामा और खूबसूरत रंगों से उन्हें प्रिंट में उकेर दिया। लकड़ी से बने हस्तनिर्मित ब्लॉक्स और चमकदार पिगमेंट डाई का उपयोग कर अद्भुत डिज़ाइनों का सृजन करना कभी ना भूल पाने वाला अनुभव रहा।
क्रिएटिस स्टूडियो के फाउंडर मोहित ठकराल ने बताया, कि वर्कशॉप का उद्देश्य ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी प्राचीन हस्तकला को संरक्षित करना, नई पीढ़ी को इसके छोटे से लेकर बड़े पहलुओं के बारे में जानकारी देना और इसे आधुनिक स्वरूप में पेश करना रहा। प्रतिभागियों ने यहां न केवल इस कला को सीखा, बल्कि अपनी रचनात्मकता से रंगारंग ब्लॉक प्रिंट भी किए।
वहीं ब्लॉक प्रिंटिंग एक्सपर्ट सुनैना तपारिया ने कहा, "यह केवल डिज़ाइन बनाने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक यात्रा है जो हमें हमारे सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है। हर ब्लॉक और हर रंग एक कहानी कहता है।"
कार्यशाला की शुरुआत में प्रतिभागियों को ब्लॉक प्रिंटिंग की तकनीक और इसके इतिहास के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद प्रतिभागियों ने खुद ब्लॉक्स और रंगों का उपयोग करके विभिन्न पैटर्न बनाए।
कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने इसे एक यादगार अनुभव बताया। विदेश से आई प्रतिभागी वियेरा ने कहा कि यह एक अद्भुत अनुभव था। मैंने सीखा कि कैसे एक साधारण लकड़ी का ब्लॉक भी इतना जीवंत डिज़ाइन बना सकता है। प्रतिभागी अंतरिक्ष ने कहा कि यह वर्कशॉप मुझे कला की गहराई और हमारी परंपरा से जुड़ने का मौका देती है।
प्रतिभागी नीता गोयल ने कहा कि अपने हाथों से पहली बार ब्लॉक प्रिंटिंग की। यह कला हमारी जड़ों को महसूस कराने का एक माध्यम है। मैंने यहां जो सीखा, वह मेरे लिए हमेशा खास रहेगा।