Jaipur Air Pollution : जयपुर में बड़ा खतरा। वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। पर कोई सोचने वाला नहीं है। 344 करोड़ खर्च कर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में गुलाबीनगर 33वें नंबर पर रहा।
Jaipur Air Pollution : जयपुर शहर में उड़ रही धूल-मिट्टी से आबोहवा खराब हो रही है। पिछले 5 साल में 344 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। जयपुर शहर में पीएम 2.5 और पीएम-10 माइक्रोन आकार के धूल के कणों का स्तर भी गंभीर श्रेणी में पहुंच रहा है। इससे राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में जयपुर 33वें नंबर पर रहा।
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनकैप) के तहत जयपुर को हवा की सेहत सुधारने के लिए वर्ष 2019-20 से मार्च 2025 तक 344 करोड़ रुपए मिले। ग्रेटर और हैरिटेज निगम ने पूरा पैसा खर्च भी कर दिया फिर भी हवा साफ नहीं कर पा रहे हैं। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों की मानें तो शहर में वायु प्रदूषण के पीछे धूल के कण व वाहनों से निकलने वाला धुआं होता है।
जयपुर शहर में सर्दी व गर्मी में पीएम-10 माइक्रोन आकार के धूल के कणों का स्तर 450 को पार चला जाता है। जयपुर की हवा में प्रदूषक तत्वों (पीएम-10) का स्तर 140 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से अधिक है। जबकि मंडल के वैज्ञानिकों के अनुसार पीएम 10 के कणों का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से अधिक नहीं होने चाहिए। शहर में सतत परिवेशीय वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (सीएएक्यूएमएस) यानी वायु गुणवत्ता जांच केन्द्र भी पर्याप्त नहीं हैं। इससे पूरे शहर की वायु गुणवत्ता की जांच नहीं हो पा रही।
वर्ष - प्रदूषक तत्वों का स्तर (वार्षिक औसत)
2019-20 - 124
2020-21 - 112
2021-22 - 126
2022-23 - 143
2023-24 - 148
2024-25 - 143
(माइकोग्राम प्रतिघन मीटर में)
शहर में सड़क पर मिट्टी-कचरा जमा हो रहा है, वाहन दौड़ने के साथ ही दिनभर मिट्टी-धूल उड़ती है। जबकि रोड स्वीपर निगम गैराज में खड़े हैं। अगर ये रोड स्वीपर सड़क पर उतरे तो सफाई व्यवस्था बेहतर हो सके।
1- सड़कों की एंड-टू-एंड पक्कीकरण व ब्लैक टॉपिंग, साथ ही सड़कों को गड्ढामुक्त बनाना।
2- ट्रैफिक कॉरिडोर, खुले क्षेत्रों, गार्डन, वर्टिकल गार्डन और मियावाकी प्लांटेशन जरूरी।
3- मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों से सड़क किनारे सफाई।
4- एंटी-स्मॉग गन मशीनों से पानी का छिड़काव।
5- कचरे का नियमित संग्रहण और वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण।
6- ट्रैफिक जाम कम करने के लिए सड़क परियोजनाएं तैयार करना।