एसएमएस अस्पताल में सुरक्षा को लेकर लापरवाही की पोल खुल गई है। ट्रोमा सेंटर हादसे की जांच में सामने आया कि बीते डेढ़ साल में मुख्य भवन से ट्रोमा तक 16 बार आग लगी। हर बार रिपोर्ट बनी पर कार्रवाई नहीं हुई। शॉर्ट सर्किट, ज्वलनशील सामग्री और लापरवाही से खतरा बढ़ा है।
जयपुर: सवाई मान सिंह अस्पताल के हालात लाक्षागृह जैसे हैं। ट्रोमा सेंटर अग्निकांड के बाद पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अस्पताल में बीते डेढ़ साल में मुख्य भवन से लेकर ट्रोमा सेंटर तक शॉर्ट सर्किट के कारण 16 बार आग लगी। राहत की बात यह रही कि बड़ी जनहानि नहीं हुई।
उधर, सिस्टम हर बार अग्निकांड के बाद भी चुप्पी साधे रहा। समय रहते आग से बचाव के इंतजाम नहीं किए गए, जिसकी कीमत ट्रोमा सेंटर आईसीयू भर्ती मरीजों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
बीते डेढ़ साल में अस्पताल के अलग-अलग भवनों में 16 जगह आग लगी और फायर टीम आग बुझाती रही। आग लगने के कारणों और बिजली तंत्र मजबूत करने के तत्काल या उपाय करने चाहिए। इसकी रिपोर्ट बनती रही और अस्पताल प्रबंधन को मिलती रही। जिम्मेदार हर बार रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालते रहे।
काम खत्म होने के बाद भी लैब, ऑपरेशन थिएटर में पंखे-लाइट बंद नहीं करना। लंबे समय तक उपकरण चालू रहे और वायरिंग जलने से शॉर्ट सर्किट हुआ। आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर में ज्वलनशील सामग्री का भरा जाना भी बड़ा कारण माना गया है।
मुख्य भवन, ओटी सेकेंड, आईपीडी टावर, धन्वंतरि ऑपरेशन थिएटर, कैथ लैब, कैथ लैब बैटरी लास्ट, ऑनकोलॉजी ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर के बाहर, थ्री एफ वार्ड, कैथ लैब वॉल फैब्रिक, ट्रोमा सेंटर न्यूरो सर्जरी आईसीयू, निर्माणाधीन आईपीडी टावर, मुख्य भवन पार्किंग, बेसमेंट पुरानी लॉन्ड्री और फैकल्टी रूम।